दमोह पर्यटक स्थल–
हेलो दोस्तों! आज हम बात करने वाले हैं मध्य प्रदेश के दमोह जिले के अंतर्गत आने वाले पर्यटक स्थलों के बारे में जो कि राष्ट्रीय महत्व के हैं जिनका अपने आप में बहुत बड़ा महत्व है | दोस्तों बहुत से पर्यटक स्थल ऐसे होते हैं जो ऐतिहासिक होते हैं और ऐतिहासिक होने के कारण तथा उनकी नक्काशी और कला के कारण प्राचीन धरोहर को देखने के लिए पर्यटकों का आना जाना है ऐसे स्थानों पर हमेशा बना रहता है | दमोह जिले के अंतर्गत प्राचीन समय से ही गोंडवाना शासन रहा है और किस क्षेत्र में गोंड जनजाति है अधिक से अधिक निवास करती है |
पर्यटक स्थल | बांदकपुर, कुंडलपुर, जोगन कुंड ,बड़ी देवी मंदिर |
झील | वर्धमान भील, राजनगर झील |
अभ्यारण | रानी दुर्गावती अभ्यारण |
किला | सिंहगौर गढ़ का किला, रानी दमयंती का किला, नरसिंहगढ़ का किला, बाती गढ़ का किला, सिन्नौर गढ़ का किला |
जलप्रपात | निदान जलप्रपात, भदभदा जलप्रपात, भैंसा जलप्रपात |
मंदिर | नोहटा शिव मंदिर, चंडी माता मंदिर, जटाशंकर मंदिर |
तालाब | बेलाताल का तालाब |
उद्योग | अमानपुरा |
दूसरा नाम | पीतल नगरी |
जागेश्वर नाथ मंदिर | भगवान शिव के लिए प्रसिद्ध |
सिंन्नौरगढ़ किले का निर्माण | रानी दुर्गावती के शासनकाल में |
दमोह जिले की स्थापना | सन 1861 में |
बांदकपुर–
बांदकपुर दमोह जिले का एक छोटा सा शहर है जहां पर भगवान भोलेनाथ की आश्चर्यजनक महिमा का उल्लेख मिलता है | यहां पर भगवान भोलेनाथ जी का मंदिर है जोकि बांदकपुर के पास में ही जागेश्वर नाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है | जागेश्वर धाम पर बसंत पंचमी और शिवरात्रि के शुभ अवसर पर प्रति वर्ष भव्य मेले का आयोजन किया जाता है | शिवरात्रि और बसंत पंचमी के भव्य मेले में दूरदराज से आए लोगों के लिए मेला प्रांगण में ठहरने की व्यवस्था होती है | इस मेले में प्रदेश के दूर-दूर से लोग प्रवेश करते हैं और जागेश्वर नाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं |
बांदकपुर की यात्रा जबलपुर से एरोप्लेन के द्वारा भी आप कर सकते हैं जबलपुर से लगभग 135 किलोमीटर की दूरी पर यह धाम स्थित है |
बांदकपुर रेलवे स्टेशन के माध्यम से भी आप जागेश्वर नाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं |
जागेश्वर नाथ मंदिर दमोह जिले से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस धाम पर जाने के लिए वाहनों की उपयुक्त व्यवस्था है | जागेश्वर नाथ के दर्शन करने के लिए आप अपने पर्सनल बहन के द्वारा भी जा सकते हैं और यदि आप पर्सनल वाहन से नहीं जा पाते तो आप टैक्सी अथवा बस के द्वारा भी जागेश्वर नाथ मंदिर तक जा सकते हैं |
कुंडलपुर-
जबलपुर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुंडल गिरी नामक स्थान पर कुंडलपुर स्थित है यह धाम जैन धर्म से संबंधित है|
दोस्तों !जैसा कि आप जानते हैं हमारे देश में विभिन्न प्रकार के धर्म के लोग रहते हैं वैसे ही देश के विभिन्न भागों में सभी धर्मों के तीर्थ स्थल मौजूद हैं | कुंडलपुर नामक स्थान पर जैन धर्म के भगवान आदिनाथ की प्रतिमा मौजूद है यह प्रतिमा बहुत ही पुरानी और ऐतिहासिक है | कुंडलपुर धाम बहुत पुराना और ऐतिहासिक होने के कारण पर्यटकों का केंद्र बन चुका है यहां पर प्रदेश के विभिन्न भागों से लोग दर्शन करने के लिए हमेशा आते रहते हैं | किस धाम पर जैन समुदाय के लोगों का सबसे अधिक आना-जाना बना रहता है | जैन धर्म के गुरुओं के द्वारा यहां पर तरह तरह के आयोजन किए जाते हैं जिसमें जैन समुदाय के लोगों की भीड़ बहुत अधिक मात्रा में आती है|
वर्धमान झील–
दोस्तों वर्धमान झील के पास यही कुंडलपुर का प्रसिद्ध जैन मंदिर स्थित है इस झील के कारण कुंडलपुर के जैन तीर्थ स्थल की सुंदरता और अधिक बढ़ जाती है जिस कारण से यहां पर पर्यटकों की भीड़ हमेशा बनी रहती है |
रानी दुर्गावती अभ्यारण-
रानी दुर्गावती अभ्यारण मध्य प्रदेश के दमोह जिले का एक ऐसा अभ्यारण है जहां पर प्रकृति की एक अलग ही सुंदरता को देखा जा सकता है | इस अभ्यारण में तरह-तरह के वन्य जीव पाए जाते हैं तथा इस अभ्यारण का विस्तार जबलपुर तक भी फैला हुआ है | किस अभ्यारण तक जाने के लिए आप दमोह के रास्ते पर भी जा सकते हैं और जबलपुर के रास्ते से भी जा सकते हैं | दमोह जिले की संग्रामपुर तहसील के करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह अभ्यारण लोगों के पर्यटन के आकर्षण का केंद्र है | इस अभ्यारण को देखने में लोगों को बहुत ही आसानी होती है क्योंकि जबलपुर रोड पर ही यह अभ्यारण पड़ता है | दमोह से जबलपुर जाने वाले पर्यटकों के लिए यह अभ्यारण बिल्कुल नजदीक हो जाने के कारण यहां पर जाने में लोग बिल्कुल भी संकोच नहीं करते और किस अभ्यारण की अनोखी छटा देखने का सुनहरा अवसर पाते हैं | रानी दुर्गावती अभ्यारण को पूरी तरह से घूमने के लिए आपको बाइक से भी घूमने के लिए मिल सकता है | रानी दुर्गावती अभ्यारण घूमते समय आप इस अभ्यारण के महत्वपूर्ण जीव जंतुओं के साथ-साथ यहां पर निवास करने वाले जानवरों को भी बड़ी आसानी के साथ देख सकते हैं | रानी दुर्गावती अभ्यारण के अंदर बहुत सारी ऐसे घूमने वाले स्थान हैं जहां पर आप एक ही समय में रानी दुर्गावती अभ्यारण का भ्रमण करने के साथ-साथ अन्य जगहों को भी देख सकते हैं और आनंद उठा सकते हैं |
सिंहगौरगढ़ का किला–
सिंहगौरगढ़ का किला मध्य प्रदेश के दमोह जिले के अंतर्गत आने वाला बहुत ही पुराना और ऐतिहासिक किला इसका इतिहास बहुत ही पुराना होने के कारण यहां पर पर्यटक इस किले के बारे में जानने के लिए घूमने आते हैं | इस किले पर गौड़ शासन होने के साथ-साथ
अन्य राजाओं ने भी इसको जीत कर अपने कब्जे में किया है और यहां पर शासन किया है |
निदान जलप्रपात-
दोस्तों जैसा कि इस जलप्रपात का नाम निदान जलप्रपात है ठीक वैसे ही इसको देखने के बाद मन को एक अलग ही अनुभूति प्राप्त होती है | निदान जलप्रपात रानी दुर्गावती अभ्यारण के अंतर्गत ही आता है Rani Durgavati वन्य जीव अभ्यारण का भ्रमण करने वाली जितने भी पर्यटक होते हैं वह एक बार निदान जलप्रपात को जरूर देखने जाते हैं | निदान जलप्रपात बहुत ही सुंदर और मनोरम दृश्य को बनाए रखने में अन्य जलप्रपात से पूरी तरीके से भिन्न है| मध्य प्रदेश के दमोह जिले के अंतर्गत आने वाला निदान जलप्रपात दमोह जिले का एकमात्र ऐसा पर्यटक स्थल है जहां पर सबसे अधिक भीड़ उमड़ती है| निदान जलप्रपात को देखने के बाद लोगों की सारी थकान दूर हो जाती है प्रकृति का एक अलग ही मनोरम दृश्य देखने को मिलता है| वास्तव में अगर प्रकृति की सुंदरता देखना है तो ऐसे स्थानों पर जाना बिल्कुल उचित है जहां पर प्रकृति की सुंदरता देखने के बाद आपके मन को एक अलग ही आनंद की प्राप्ति होती है और आपका पूरा तनाव दूर होता है | निदान जलप्रपात का पानी पत्थरों से बीचो-बीच होकर बहता है जिससे इसका पानी बहुत ही स्वच्छ और साफ दिखाई देता है | काफी ऊंचाई से पानी गिरने से उसका पानी बहुत ही सुंदर लगता है जिस कारण से यहां पर पर्यटकों का अधिक समय तक के लिए ठहराव हो जाता है | निदान जलप्रपात की नीचे एक छोटा सा जलकुंड भी है जहां पर आप मनचाहा स्नान भी कर सकते हैं |
चंडी माता मंदिर-
चंडी माता मंदिर मध्य प्रदेश के दमोह जिले के अंतर्गत आने वाली हटा तहसील में आता है | यह मंदिर बहुत ही प्राचीन और धार्मिक स्थल होने के कारण यहां पर नवरात्रि के महीने में सबसे अधिक मात्रा में भीड़ इकट्ठी होती है | चंडी माता मंदिर South Indian style की तर्ज पर बना हुआ मंदिर है | चंडी माता मंदिर के अलावा यहां पर बहुत छोटे-छोटे मंदिर भी मौजूद हैं जिनके दर्शन भी आप कर सकते हैं | दमोह जिले के मेन रोड पर यह मंदिर स्थित होने के कारण यहां पर अधिक से अधिक भीड़ इकट्ठी हो जाती है |
नोहटा शिव मंदिर –
मध्य प्रदेश जिले की दमोह जिले के अंतर्गत आने वाला नोहटा शिव मंदिर दमोह जिले की नोहटा तहसील के अंतर्गत आता है | यह मंदिर बहुत ही प्राचीन और ऐतिहासिक है जिस कारण से इसे देखने के लिए पर्यटक दमोह जिले की पर्यटकों को देखने के साथ-साथ यहां पर जरूर आते हैं | यह शिव मंदिर जबलपुर रोड पर स्थित है जिस कारण से जबलपुर रोड से गुजरने वाले लोगों के लिए इस मंदिर को देखना और भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने में आसानी हो जाती है| इस मंदिर की बनावट और इसकी दीवारों पर प्रयोग किए गए पत्थरों के कारण यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध और चर्चित रहता है| इस मंदिर की दीवारें प्राचीन काल की सबसे सुंदर नक्काशी का प्रमुख उदाहरण है | इस मंदिर में जैसी नक्काशी देखने को मिलती है इसके अलावा आप किसी भी मंदिर में ऐसे नक्काशी नहीं देख सकते |
जटाशंकर मंदिर-
जटाशंकर मंदिर जो कि मध्य प्रदेश के दमोह और छतरपुर जिले की सीमा पर स्थित है जिस कारण से जटाशंकर का कुछ हिस्सा मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में आता है और कुछ क्षेत्र दमोह जिले के अंतर्गत आता है | जटाशंकर धाम भगवान भोलेनाथ के लिए जाना जाता है यहां पर प्रत्येक वर्ग के समुदाय के लिए धर्मशालाओं की व्यवस्था की गई है | जटाशंकर धाम पर भीड़ अधिक होने के कारण जटाशंकर प्रांगण में लॉकर की व्यवस्था की गई है जिसमें आप अपने सामान को सुरक्षित रख सकते हैं | जटाशंकर धाम में एक प्रमुख कुंडा स्नान करने के लिए इसके अलावा तीन छोटे-छोटे कुंड हैं जो कि भगवान शिव की शिवलिंग के बिल्कुल पास में ही बने हुए हैं | कहा जाता है कि जरा शंकर में जो छोटे-छोटे वह बहुत ही प्राचीन और प्राकृतिक रूप से निर्मित हैं |
रानी दमयंती का किला-
रानी दमयंती का किला मध्य प्रदेश के दमोह जिले में पर्यटन का प्रमुख केंद्र है हालांकि वर्तमान में यह किला संग्रहालय के रूप में सुरक्षित हो गया है | कहा जाता है कि रानी दमयंती के नाम पर जी दमोह जिले का नाम पड़ा है | रानी दमयंती का किला दमोह जिले की कोतवाली की ठीक है बिल्कुल सामने स्थित है आप इसके लिए में बड़ी आसानी के साथ भ्रमण कर सकते हैं | रानी दमयंती के किले के बाहर बहुत ही सुंदर और विशाल बगीचा निर्मित है जिसकी खूबसूरती जितनी कहीं जाए उतनी कम है | एक बगीचे में तरह तरह के फूल और पेड़ पौधे आज भी मौजूद हैं जिन की सुंदरता बहुत ही निराली है | यहां पर आने वाला प्रत्येक पर्यटक इस बगीची को देखकर खुद आकर्षित हो जाता है और एक बार इस किले को देखने का मन जरूर करता है | रानी दमयंती के किले के अंदर प्राचीन काल की बहुत सारी सामग्री आज भी मौजूद है जिनको मध्य प्रदेश सरकार ने संग्रहालय के रूप में सुरक्षित कर लिया है | रानी दमयंती के समय के प्रयोग होने वाले औजारों को आज भी आप किले में देख सकते हैं | रानी दमयंती के किले के अंदर बहुत सारी मूर्तियों को मध्य प्रदेश सरकार ने आज भी सुरक्षित रखा है हालांकि उनमें कोई भी मूर्ति पूर्ण रूप से शुद्ध और पूरी नहीं है यह मूर्तियां कहीं ना कहीं से टूटी हुई है |
11 . राजनगर झील–
मध्य प्रदेश की राजनगर झील दमोह जिले की राजनगर तहसील के अंतर्गत आती है | राजनगर झील दमोह जिले की एक ऐसी झील है जिसके पास में ही एक गार्डन मौजूद है इस गार्डन के कारण राजनगर झील की सुंदरता कई गुनी बढ़ जाती | राजनगर झील का आनंद उठाने के लिए जब कोई पर्यटक आता है तब इसके पास में ही मौजूद गार्डन के पास जरूर जाता है | इस गार्डन के कारण राजनगर झील बहुत ही सुंदर और खूबसूरत लगती है किस झील के अंतर्गत एक जलाशय भी आता है जहां पर आप आसानी से स्नान भी कर सकते हैं | यह जलाकर दमोह से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होने के कारण लोग यहां पर बहुत अधिक आते हैं क्योंकि इतनी दूरी कहीं पर घूमने के लिए ज्यादा नहीं होती है |
बेलाताल का तालाब–
बेलाताल का तालाब दमोह जिले का एक ऐसा पर्यटक स्थल है जहां पर लोग अक्सर जाते रहते हैं क्योंकि यह तालाब के बाजू में साईं बाबा का मंदिर है जो की बहुत ही सुंदर और आकर्षक है | बेलाताल तालाब की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस तालाब के बीचो बीच श्री साईं बाबा का मंदिर बना हुआ है जिस कारण से यह मंदिर बहुत ही सुंदर और खूबसूरत प्रतीत होता है | तालाब के बीचो बीच होने के कारण इस मंदिर की सुंदरता कई गुनी बढ़ जाती है | तालाब के बीचो-बीच बने मंदिर के प्रमुख दरवाजे में भगवान श्री हनुमान जी की मूर्ति स्थित है जिस कारण से यह मंदिर बहुत ही सुंदर और खूबसूरत लगता है |
सर्किट हाउस दमोह–
सर्किट हाउस दमोह का कोई विशेष स्थल नहीं है लेकिन इसकी प्राचीनता के कारण यह बहुत ही फेमस और चर्चित रहता है|
प्राचीन और ऐतिहासिक होने के कारण यहां पर पर्यटक अक्सर इसे देखने आते हैं और यहां की प्राचीनता के बारे में जानने की कोशिश करते हैं | सर्किट हाउस अंग्रेजों के जमाने के द्वारा बनाई गई इमारतों में प्रमुख है यह हाउस ऊंची चोटी पर होने के कारण आप दमोह जिले के कई हिस्सों को बड़ी आसानी के साथ देख सकते हैं |
भदभदा जलप्रपात-
दमोह जिले के अंतर्गत आने वाली केन नदी पर स्थित यह झरना अपनी सुंदरता और खूबसूरती के कारण जाना जाता है | दोस्तों जैसा कि यह सब झरने का नाम भदभदा झरना पड़ा है ठीक वैसे ही यह धरना दिखने में भी लगता है | दोस्तों यह झरना ज्यादा बड़ा तो नहीं है लेकिन छोटा होने के कारण और भद- भद आवाज करने के कारण इस झरने का नाम भदभदा जलप्रपात हो गया | दमोह जिले के चुनिंदा झरनों में से यह एक प्रमुख झरना है |
नरसिंहगढ़ का किला-
नरसिंहगढ़ का किला दमोह जिले के अंतर्गत तो आता ही है लेकिन मध्य प्रदेश के जाने-माने राजगढ़ जिले के अंतर्गत भी एक किला नरसिंहगढ़ किले के नाम से प्रसिद्ध है | दमोह के जिले का नरसिंहगढ़ का किला जिले में बहने वाली सोनार नदी के तट पर स्थित है | नरसिंहगढ़ का किला बहुत ही पुराना और प्राचीन होने के कारण पर्यटक इस किले को देखने जरूर जाते हैं क्योंकि इसके लिए के अंदर पर्यटकों को बहुत ही आश्चर्यचकित करने वाली चीजों को देखने को मिलता है | नरसिंहगढ़ किले के अंदर इतिहास काल के दौरान प्रयोग होने वाली तोपों की जानकारी मिलती है और बड़ी आसानी के साथ किले में तोप को को देख भी सकते हैं|
भैंसा जलप्रपात-
दमोह जिले के अंतर्गत आने वाला भैंसा जलप्रपात ऐसे जिले का कोई विशेष जलप्रपात नहीं है लेकिन जंगल के बीचो-बीच और झाड़ियों में यह जलप्रपात होने के कारण यहां पर लोग बहुत कम ही जा पाते हैं | दोस्तों जैसा जलप्रपात के पास किसी भी प्रकार का वाहन नहीं जा पाता इसीलिए इस जलप्रपात को देखने के लिए बहुत कम लोग जा पाते हैं | दोस्तों कुछ पर्यटक ऐसे होते हैं जिनको कठिनाइयों का सामना करने में कोई संकोच नहीं होता है ऐसे पर्यटक इस प्रकार के जलप्रपात को किसी न किसी समस्या का सामना करके जरूर देखने जाते हैं |
अमानपुरा उद्योग केंद्र-
दोस्तों अमानपुरा उद्योग केंद्र दमोह जिले का प्रमुख औद्योगिक केंद्र है उद्योग दमोह जिले के अंतर्गत आने वाले लोगों को रोजगार भी मिला है | अमानपुरा उद्योग कोई विशेष बहुत बड़ा उद्योग नहीं है लेकिन दमोह जिले के मामले में यह उद्योग काफी विकसित और बड़ा है |
पीतल नगरी-
दोस्तों मध्य प्रदेश का दमोह जिला एकमात्र ऐसा जिला है जहां पर पीतल से संबंधित उपयोग में आने वाली वस्तुओं को निर्मित किया जाता है जिस कारण से मध्य प्रदेश के दमोह जिले को पीतल नगरी भी कहा जाता है |
बातीगढ़ का किला-
बाती गढ़ का किला दमोह जिले का एक ऐसा किला है जो कि ईरानी वास्तुकार के द्वारा निर्मित किया गया है जिसे Percyan वास्तुकला का उदाहरण भी कहा जाता है | बाती गढ़ किले की अंदर आज भी बहुत से ऐसे युद्ध के घातक हथियार मौजूद हैं जिन को देखने के लिए पर्यटक बाती गढ़ के लिए जाते हैं तो इन हथियारों को देखने की जरूर कोशिश करते हैं|
बड़ी देवी का मंदिर-
दोस्तों बड़ी देवी का मंदिर बहुत ही प्राचीन और विशाल मंदिर है इस मंदिर के अंदर बड़ी देवी जी की प्रतिमा मौजूद है | बड़ी देवी का मंदिर दमोह जिले के प्रमुख मंदिरों में से एक है यह मंदिर दमोह जिले के बीचो-बीच पड़ता है | यह मंदिर धार्मिक रूप से होने के कारण नवरात्रि के महीने में इस मंदिर पर दमोह जिले के अतिरिक्त भी यहां पर लोग बड़ी देवी के दर्शन करने के लिए आते हैं | मंदिर के अंदर बड़ी देवी की भव्य प्रतिमा को आप बड़ी आसानी के साथ देख सकते हैं परंतु नवरात्रि के समय यहां पर बहुत अधिक भीड़ होने के कारण इस प्रतिमा को देखने से भी लोग कभी-कभी वंचित रह जाते हैं | यह मंदिर बहुत पुराना और प्राचीन होने के कारण पर्यटक इस मंदिर को कभी कबार देखने के लिए आते रहते हैं |
Jogan Kund Damoh
दमोह जिले की जबेरा तहसील के अंतर्गत आने वाला जोगन कुंड अपने झरने के लिए जाना जाता है | जोगन कुंड में आपको बहुत ही खूबसूरत और सुंदर धरना देखने को मिलता है यहां पर आप दमोह से बड़ी आसानी के साथ पहुंचा सकते हैं | जोगन कुंड तक जाने के लिए आपको पैदल ही जाना पड़ेगा क्योंकि यह कुंड जंगल की बीचो-बीच झाड़ियों में स्थित है जहां पर पत्थरों कंकड़ होने के कारण वाहनों का जाना बहुत ही मुश्किल है परंतु ज्यादा दूर ना होने के कारण यहां पर लोग पैदल ही निकल पड़ते हैं | कहा जाता है दोस्तों अगर प्रकृति की सुंदरता देखनी है तो थोड़ा कष्ट भी सहना पड़ेगा |
सिन्नौर गढ़ का किला-
दोस्तों इस किले को सिगरगढ़ का किला भी कहा जाता है| इस किले की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह किला गुलाब के फूलों से युक्त एक सुंदर झील को अपने अंतर्गत रखता है | इस किले के अंदर यह भीड़ उपस्थित होने के कारण यहां पर पर्यटकों की भीड़ हमेशा बनी रहती है |
दमोह जिला | Damoh District Wise GK History Tourism FAQ’s
प्रश्न 1 पाषाण युग के उपकरण कहां मिले हैं?
पाषाण युग के उपकरण मध्य प्रदेश के दमोह जिले में मिले हैं यह उपकरण सिंगरामपुर घाटी में मिले हैं |
प्रश्न 2. जागेश्वर नाथ मंदिर कहां है?
जागेश्वर नाथ मंदिर मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्थित है यह मंदिर भगवान भोलेनाथ से संबंधित है |
प्रश्न 3 जागेश्वर कहां है?
जागेश्वर मध्य प्रदेश के कुंडलपुर नामक स्थान पर स्थित है जोकि दमोह जिले के अंतर्गत आता है |
प्रश्न -4. सिन्नौर गढ़ का किला किसके शासनकाल में बनाया गया है?
सिन्नौर गढ़ का किला मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्थित है जो की रानी दुर्गावती के शासनकाल में बनाया गया था |
प्रश्न 5. दमोह जिले की स्थापना कब हुई?
दमोह जिले की स्थापना सन 1861 में हुई थी |
प्रश्न 6 मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा बाल श्रम कहां पाए जाते हैं?
मध्यप्रदेश में दमोह जिले के अंतर्गत सबसे अधिक मात्रा में बाल श्रम आते हैं |
प्रश्न 7 .दीपक और कर्तव्य कहां से प्रकाशित होने वाले अखबार हैं?
दीपक और कर्तव्य मध्य प्रदेश के दमोह जिले से प्रकाशित होने वाले प्रमुख अखबार हैं |
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