WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

रायसेन जिला – Raisen tourist places in hindi

रायसेन जिले के प्रमुख पर्यटक स्थल –

दोस्तों यहां पर आज हम बात करने वाले हैं मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों के बारे में जिसमें पर्यटक स्थलों की संपूर्ण जानकारी दी जाएगी | रायसेन जिले के अंतर्गत बहुत से ऐसे ऐतिहासिक स्थल पाए जाते हैं जो राष्ट्रीय महत्व के हैं और उनको यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भी शामिल किया गया है| आज हम रायसेन की इतिहास के बारे में चर्चा करेंगे कि रायसेन में आने वाले कौन-कौन से पर्यटक स्थल हैं और उनका क्या इतिहास रहा होगा | दोस्तों रायसेन मध्य प्रदेश का वह जिला है जो प्रमुख रूप से बौद्ध स्तूपो के लिए जाना जाता है |

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

रायसेन जिले के अंतर्गत सांची बौद्ध भारतीय अध्ययन विश्वविद्यालय स्थित है जो कि पहला अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय है |

सांची स्तूप का निर्माणमहान सम्राट अशोक के द्वारा
सांची स्तूपमध्य प्रदेश के रायसेन जिले के अंतर्गत आता है
Sanchi1989 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल
सतधारामध्य प्रदेश के रायसेन जिले में
भोजपुर मंदिरजिला रायसेन
रातापानी वन्य जीव अभ्यारणजिला रायसेन
  विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंगभोजपुर मंदिर जिला रायसेन
मध्य प्रदेश का तितली पार्क और मछली घरजिला रायसेन
केवरना धामजिला रायसेन
भारत के कुल विश्व धरोहर स्थल40 जिसमें 40 में विश्व धरोहर स्थल “धोलावीरा” है |

☑️ रायसेन जिले के प्रमुख पर्यटक स्थल-

दोस्तों शायद ही ऐसा कोई होगा जो साथी की स्कूलों के बारे में नहीं जानता होगा क्योंकि सांची के स्तूप का इतिहास बहुत ही पुराना और मनोरम है | सांची में कोई विशेष ऐतिहासिक चीज नहीं है परंतु यहां पर एक “मील का पत्थर “है इसकी बनावट और आकार के कारण यह पूरी दुनिया में चर्चित और प्रसिद्ध है | दोस्तों सांची में बना हुआ यह स्तूप भगवान बुद्ध के अवशेषों को उजागर करता है कहा जाता है इन स्तूपो के अंदर भगवान बुद्ध के अवशेषों को रखा जाता था |
दोस्तों सांची के अंतर्गत आने वाला यह पर्यटक स्थल भगवान बुद्ध की अनुयायियों के लिए बहुत ही लोकप्रिय और दार्शनिक स्थल है |

➊ विश्व धरोहर सांची-

यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध जिले रायसेन के अंतर्गत आने वाला सांची टाउन पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है | सांची रायसेन जिले की नगर पंचायत है| भोपाल जिले से लगभग 46 किलोमीटर की दूरी पर और विदिशा जिले से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह सांची बहुत ही लोकप्रिय और मध्यप्रदेश की प्रमुख ऐतिहासिक धरोहर है | रायसेन जिले के अंतर्गत सांची एक ऐसा धरोहर स्थल है जहां पर प्राचीन काल की बहुत ही कलाकृतियों को और मूर्तियों को देखा जा सकता है |

⚫️ सांची स्तूप –

दोस्तों रायसेन जिले की नगर पंचायत के अंतर्गत आने वाला सांची बौद्ध स्तूप के लिए जाना जाता है | यहां पर भगवान बुद्ध की तीर्थ यात्रा के दौरान जितनी भी घटनाएं हैं उनको सांची बौद्ध स्तूपो के माध्यम से समझा और देखा जा सकता है | सांची में बौद्ध स्तूप का निर्माण तीसरी शताब्दी और 12 सी ई के समय हुआ था और इसी समय भगवान बुद्ध की यात्रा चल रही थी जिसमें उनके अनुयाई उनके पूरे सहयोग के साथ उनके साथ थे | सांची का स्तूप एकमात्र ऐसा स्तूप है जहां पर भगवान बुद्ध के अवशेषों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है |

⚫️ सांची पहाड़ी-

दोस्तों सांची में एक पहाड़ी भी पाई जाती है जो बहुत ही खूबसूरत और मनोरम दृश्य की लगती है इस पहाड़ी से पूरी साची को आप आसानी से देख सकते हैं | सांची पहाड़ी गेट ठीक बिल्कुल नहीं चाहिए सांची गांव बसता है जहां पर हजारों लोग निवास करते हैं |
यहां की साधारण बोलचाल की भाषा हिंदी है और इसी भाषा में यहां के स्थानीय लोगों का कम्युनिकेशन चलता है | दोस्तों यह पहाड़ी बहुत ही खूबसूरत होने के कारण यहां पर अक्सर लोग इसे देखने के लिए आते हैं इस पहाड़ी के सांची का नजारा बहुत ही सुंदर लगता है|

⚫️ सांची की उत्पत्ति-

प्राचीन काल में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली संस्कृत और पाली भाषा से सांची शब्द की व्युत्पत्ति हुई है जिसका पूर्णतः अर्थ होता है – ” मापना” | जबकि हिंदी में इसे सांची अथवा सांचा कहा जाता है और शुद्ध रूप से जिसका अर्थ होता है पत्थरों के” सांचे” |

⚫️ सांची की उपलब्धियां-

दोस्तों पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा यहां पर खुदाई के दौरान प्राचीन काल की बहुत सी ऐसी मूर्तियां और साक्ष्य प्राप्त हुए हैं जिनको देखकर भगवान बुद्ध के मिले हुए साक्ष्य के माध्यम से पूरा पता लगाया जा सकता है कि भगवान बुद्ध ने यहां पर किस प्रकार से यात्रा की थी |

⚫️ सांची में यह उत्खनन पुरातत्व सर्वेक्षण के संस्थापक अलेक्जेंडर कनिंघम के द्वारा साथियों को प्रदान किया गया

सन 1854 में समाधि का पुरातत्व सर्वेक्षण के द्वारा उत्खनन किया गया |

सांची में यह उत्खनन पुरातत्व सर्वेक्षण के संस्थापक अलेक्जेंडर कनिंघम के द्वारा साक्ष्यो को प्रदान किया गया |

✔️ यहां पर खुदाई के दौरान मुख्यतः से स्तूप प्राप्त हुए जिनमें स्तूप 1( महान स्तूप), स्तूप 3, स्तंभ 10 (अशोक स्तंभ), स्तंभ 18, और मंदिर 17 | स्तूपो का अपना -अपना एक अलग ही इतिहास है जिसको साफ-साफ अक्षरों में अंकित किया गया है |

✔️ सांची के पूर्वी क्षेत्र में खुदाई के दौरान लगभग 45 मंदिर प्राप्त हुए | यह मंदिर बहुत ही सुंदर और आकर्षक लगते हैं जिस कारण से यहां पर पर्यटक इन्हें देखने के लिए बड़ी मात्रा में आते हैं |

✔️ सांची का पुरातत्व संग्रहालय पर्यटकों के लिए Sanchi की यात्रा करने के लिए मदद करता है |

✔️ पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के माध्यम से सांची के दक्षिण में भी लगभग 40 मंदिर प्राप्त हुए यह मंदिर पूर्ण तहा मजबूत पत्थरों से निर्मित थे |

✔️ सांची के पश्चिम में 50 से भी अधिक है मठ प्राप्त हुए जो कि वर्तमान में पर्यटन का प्रमुख रूप से आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं|

✔️ सांची में खुदाई के दौरान कई बहुत से ऐसे पत्थर प्राप्त हुए जिनमें प्राचीन काल की भाषाओं को साफ तौर पर देखा जा सकता है परंतु उनमें बहुत सी भाषाएं ऐसी मिली जिनको पढ़ना बहुत ही मुश्किल है |

✔️ सांची मध्य प्रदेश राज्य का एकमात्र ऐसा पर्यटन स्थान है जहां पर सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा टूरिस्ट आते हैं क्योंकि यहां पर सर्दियों में बहुत ही खूबसूरत लगता है |

✔️ सांची के बौद्ध स्तूप के द्वारा सांची के प्राचीन काल के इतिहास की बहुत सी जानकारी मिलती है इस जानकारी को आप सांची में प्राप्त हुए पत्थरों के माध्यम से देख सकते हैं अथवा पढ़ सकते हैं |

➋ रायसेन किला –

रायसेन का किला रायगढ़ और रायसेन के दुर्ग के नाम से जाना जाता है | यह प्रसिद्ध और ऐतिहासिक किला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | प्राचीन काल के राजा साही घर और मंदिर रायसेन दुर्ग के अंतर्गत ही आते हैं और यह किला बहुत ही ऊंचा ई पर स्थित है | किले के एक ही परिसर के अंदर मंदिर और मस्जिद दोनों मौजूद हैं कहा जाता है कि प्राचीन काल में यहां के राजा हिंदुओं अथवा मुस्लिम धर्म के सभी त्योहारों को एक साथ समय-समय पर मनाते थे |

दोस्तों इस किले के अंदर कहा जाता है कि कई गुंबद मौजूद थे परंतु कई आक्रमणकारियों ने यहां के गुंबद को नष्ट कर दिया है हालांकि वर्तमान में यहां पर केवल दो गुंबद मौजूद हैं जहां पर आजकल चमगादड़ रहते हैं | दोस्तों यह दुर्ग बहुत ही पुराना और सुंदर है इस पर प्रयोग किए गए पत्थर बहुत ही मजबूत और आकर्षक हैं |

दोस्तों हजारों साल पुराना यह दुर्ग आज भी बहुत सुंदर लगता है पर्यटकों के लिए यह स्थान बहुत ही सुंदर और घूमने योग्य है | इसके लिए को घूमने के लिए वर्तमान में बहुत ही सुविधा मौजूद हो गई है हालांकि आज से कई साल पहले इस दुर्ग तक पैदल ही जाना पड़ता था परंतु अब दुर्ग के ठीक बाहर तक आप फोर व्हीलर अथवा टू व्हीलर के माध्यम से भी जा सकते हैं |

➍ रायसेन का तितली पार्क और मछली घर-

रायसेन जिले के अंतर्गत आने वाले गोपालपुर गांव में रायसेन का तितली पार्क और मछली घर स्थित है यह जगह बहुत ही सुंदर और खूबसूरत है | यहां पर आप प्रमुख रूप से मछलियां और तितलियां देख सकते हैं जिनमें तितलियों की कई प्रजातियों को यहां पर देखा जा सकता है | राजस्थान का तितली पार्क और मछली घर गोपालपुर के वन मंडल के अधीन आता है गोपालपुर का वन मंडल बहुत ही आकर्षक और पर्यटकों का केंद्र है | दोस्तों रायसेन की सबसे बेशकीमती जगहों में से एक है जहां पर प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में लोग यहां पर इस पार्क को और मछली घर को देखने के लिए आते हैं |

➎ सांची का स्तूप संग्रहालय –

दोस्तों सांची का स्तूप संग्रहालय वह स्थान है जहां पर भगवान बुद्ध के अवशेषों को आज भी सुरक्षित रखा गया है | सांची के स्तूप संग्रहालय में भगवान बुद्ध के द्वारा की जाने वाली यात्राओं की जानकारी को और अवशेषों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है| यही पर इस संग्रहालय के अंतर्गत भगवान बुद्ध से जुड़ी हुई बहुत ही प्राचीन वस्तुओं को देखा जा सकता है जो भगवान बुद्ध के उपयोग में लाई गई थी | प्रतिदिन सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक यह संग्रहालय है खुला रहता है इस समय कोई भी यहां पर आकर विजिट कर सकता है |

➏ सतधारा रायसेन-

रायसेन जिले के के अंतर्गत आने वाला सतधारा स्तूप के नाम से जाने जाने वाला यह पर्यटक स्थल लोगों को बहुत ही आकर्षित करता है | यह मुख्य रूप से रायसेन जिले के जंगल के अंदर स्थित है और यहां पर बहुत से स्तूपो को देखा जा सकता है |

➐ रायसेन का भोजपुर मंदिर-

दोस्तों यह मंदिर भगवान शिव के लिए प्रसिद्ध है और कहा जाता है कि इसका इतिहास बहुत ही पुराना है और प्राचीन काल से ही यहां पर भगवान शिव की पूजा होती आ रही है | भोजपुर मंदिर में भगवान शिव का सबसे बड़ा शिवलिंग स्थित है जिस कारण से यह बहुत ही प्रसिद्ध है और यहां पर बड़ी संख्या में लोग इसे देखने के लिए आते |

इस मंदिर के चारों तरफ एक गार्डन है जो की बहुत ही खूबसूरत है पर्यटकों के लिए गार्डन घूमने के लिए बहुत ही आकर्षित करने वाली जगह होती है | यदि किसी पर्यटक स्थल के पास में ही गार्डन हो तो ऐसे स्थान पर लोग ज्यादातर घूमने के लिए आकर्षित होते हैं क्योंकि गार्डन होने से उसे स्थल की खूबसूरती दोगुनी बढ़ जाती है | भगवान शिव की यहां पर एक अनोखी छटा देखने को मिलती है जिसे देखने के लिए हर एक व्यक्ति उतावला रहता है |

➑ माता कंकाली देवी मंदिर-

दोस्तों हिंदू धर्म में कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है जिन में माता कंकाली देवी भीम एक प्रमुख देवी के रूप में पूजी जाती हैं |
रायसेन जिले के अंतर्गत माता कंकाली देवी का मंदिर बहुत ही खूबसूरत और अनोखा मंदिर है इस मंदिर में माता कंकाली देवी की प्रतिमा को आसानी से देखा जा सकता है |

माता कंकाली की मंदिर में विराजमान प्रतिमा बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक है | यहां पर नवरात्रि के समय पर बहुत अधिक मात्रा में भीड़ इकट्ठी होती है क्योंकि इस समय माता रानी की पूजा के लिए जवारे निकलते हैं | नवरात्रि के दौरान यहां पर मेले का भी आयोजन किया जाता है जिसमें कई लोग शामिल होकर मेले का भी आनंद लेते हैं |

दोस्तों इस मंदिर के बारे में शायद ही बहुत कम लोगों ने सुना होगा क्योंकि यह मंदिर बहुत ज्यादा चर्चित तो नहीं है परंतु पर्यटकों के लिए बहुत ही सुंदर जगह है यहां पर लोगों को जरूर घूमने के लिए जाना चाहिए |

➒ रायसेन जिले का केवरना धाम-

केवरना धाम भगवान शिव के लिए जाना जाता है और यह धाम बहुत ही सुंदर है | भगवान शिव के इस मंदिर को वन खंडेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है | इस मंदिर में प्राचीन काल से ही भगवान शिव की पूजा होती आ रही है और इसका इतिहास भी बहुत पुराना है | दोस्तों यह मंदिर एक धार्मिक तीर्थ स्थल है यहां पर भगवान शिव के भक्तों की भीड़ हमेशा लगी रहती है |

दोस्तों ऐसे धाम का नाम केरवन्य ऋषि के नाम पर पड़ा है क्योंकि इनका यह साधना का स्थान रहा है प्राचीन काल में यह ऋषि बहुत ही प्रसिद्ध और तपस्वी ऋषि थे | यह धाम रायसेन जिले की जैतपुर नामक गांव की पास पड़ता है | धाम पर धर्मशालाओं की भी व्यवस्था है यदि कोई श्रद्धालु बहुत दूर से आता है तो उसको ठहरने और बैठने की उपयुक्त व्यवस्था देखने को मिलती है |

➓ रातापानी वन्य जीव अभ्यारण-

मध्य प्रदेश का “रातापानी अभ्यारण “रायसेन जिले का प्रमुख अभ्यारण है और यह अभ्यारण पर्यटकों के लिए प्रमुख स्थल है | रातापानी वन्य जीव अभ्यारण का विस्तार मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लेकर विदिशा, रायसेन तक फैला हुआ है | इस अभ्यारण में आपको जंगली पशु ,बाघ, तेंदुआ ,हिराण आदि देखने को मिलते हैं|

दोस्तों रातापानी वन्य जीव अभ्यारण प्राकृतिक रूप से बहुत ही सुंदर और आकर्षक लगता है यहां पर तरह तरह के जानवर देखने को मिलते हैं और प्रकृति की एक अलग ही छटा देखने को मिलती है| दोस्तों प्रतिवर्ष बरसात के दौरान यहां पर ज्यादातर लोग इस अभ्यारण के जीव-जंतुओं को देखने के लिए आते हैं हालाकी कोई भी व्यक्ति जीव जंतुओं को खिला -पिला नहीं सकता |

रातापानी वन्य जीव अभ्यारण रायसेन जिले की जंगल की भीतर एक झील भी पाई जाती है जिस कारण से रातापानी वन्य जीव अभ्यारण की सुंदरता और अधिक बढ़ जाती है | रातापानी वन्य जीव अभ्यारण के अंदर झील होने के कारण और प्राकृतिक रूप से सुंदर होने के कारण यहां पर लोग अक्सर पार्टी अथवा पिकनिक मनाने के लिए आते रहते हैं | दोस्तों पर्यटकों के लिए यह एक ऐसा स्थान है जहां पर उनको जरूर देखने के लिए जाना चाहिए क्योंकि यह स्थान बहुत ही सुकूनमय स्थान है |

रायसेन जिला – Raisen tourist places in hindi FAQ’s

☑️ रायसेन जिले का नाम कहां से आया?

रायसेन जिले का नाम राजसयनऔर राजवसनी के शाही निवास के के कारण पड़ा | कई ग्रंथों में रायसेन जिले का नाम रायसेन किले के आधार पर पड़ा जो कि बताया जाता है कि यह किला लाल बलुआ पत्थर के द्वारा निर्मित किया गया है | यह लाल बलुआ पत्थर की ऊंची पहाड़ी पर बसता है और इसी पहाड़ी के बाजू में यह शहर बसता है |

☑️ रायसेन जिले का इतिहास-

प्राचीन काल में भोपाल की रियासत निजामत -ए -मशरीफ के अंतर्गत आता था | भारत की आजादी के बाद 5 मई 1950 को यह जिला अपने अस्तित्व में आया | यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल रायसेन जिले की भीमबेटका गुफाएं और साथी का महान बौद्ध स्तूप प्रमुख रूप से यहां के पर्यटक स्थल हैं | रायसेन जिला के अंतर्गत बहुत सुंदर -सुंदर और ऐतिहासिक इमारतें स्थित है जिस कारण से यहां पर पर्यटक बड़ी ज्यादा मात्रा में उपस्थित रहते हैं और यहां की धरोहर को देखते हैं |

↪️ प्रश्न 1. रातापानी वन्य जीव अभ्यारण किस जिले में है?

रातापानी वन्य जीव अभ्यारण मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है इस वन्य जीव अभ्यारण के भीतर एक झील भी स्थित है |

↪️ प्रश्न 2. विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग कहां पर है?

विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित
है और यह शिवलिंग रायसेन के भोजपुर में स्थित है |

↪️ प्रश्न 3. केवरना धाम कहां पर स्थित है?

केवरना धाम मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है|

↪️ प्रश्न 4 .मध्यप्रदेश में सांची का स्तूप कहां पर स्थित है|

मध्यप्रदेश में सांची का स्तूप रायसेन जिले में स्थित है | रायसेन जिले के अंतर्गत आने वाले सांची के स्तूप भगवान बुद्ध के अवशेषों के लिए जाने जाते हैं

↪️ प्रश्न 5. सांची को यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में कब शामिल किया गया?

साथी को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में सन 1989 में घोषित किया गया |

↪️ प्रश्न 6. सांची के स्तूपो को किसने बनवाया?

सांची में सम्राट अशोक के द्वारा बौद्ध स्तूपो को निर्मित किया गया इन स्तूपो में भगवान बुद्ध के अवशेषों को सुरक्षित रखा गया है |

↪️ प्रश्न 7 .भारत में अब तक कुल कितने विश्व धरोहर स्थल हैं ?

वर्तमान में लगभग लगभग 40 विश्व धरोहर स्थल हैं|

Website Home ( वेबसाइट की सभी पोस्ट ) – Click Here
———————————————————-
Telegram Channel Link – Click Here
Join telegram

Leave a Comment