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सरसों मंडी भाव 2024 एमपी Sarso Mandi Bhav 2024 MP Chhattisgarh

सरसों मंडी भाव 2024 मध्य प्रदेश –

दोस्तों सभी लोगों को नमस्कार और किसान भाइयों के लिए सबसे अच्छी खुशखबरी आज मैं सरसों का मंडी भाव और सरसों की उपयोगिता सभी प्रकार की बातों पर चर्चा करने वाला हूं |आज मैं आपको बताऊंगा कि कौन सी मंडी में सरसों का कितना भाव है? सरसों का भाव गिरेगा या ऊपर जाएगा |मध्य प्रदेश की कौन सी मंडी में सरसों का सबसे ज्यादा भाव है सभी प्रकार की बातों पर चर्चा करने वाले हैं | दोस्तों आज हम आपको बताएंगे सरसों का भाव आने वाले समय में किस तरीके से बढ़ सकता है या घट सकता है सभी प्रकार की बातों पर चर्चा करेंगे |

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मध्य प्रदेश की मंडियों में आज का सरसों का भाव –

  • 1.पोरसा मंडी मध्यप्रदेश में आज सरसों का भाव 6800 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से चल रहा है |
  • 2. मुरैना मंडी भाव मध्य प्रदेश में सरसों 6550 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है |
  • 3. मंदसौर मंडी भाव 6200 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से चल रहा है |
  • 4. गंज बासौदा मंडी मध्यप्रदेश में सरसों का आज का भाव 6500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है  |
  • 5. मध्य प्रदेश के छतरपुर मंडी में सरसों का आज का ताजा भाव 6300 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से चल रहा है |
  • 6.  अशोकनगर मंडी मध्य प्रदेश में सरसों का आज का ताजा भाव 6200-6400 रुपए तक रहा है |

सभी किसान भाइयों के लिए आज की प्रमुख मध्य प्रदेश की मंडियों में सरसों का भाव आपको बता ही दिया है किसानों के लिए यह खबर बहुत ही महत्वपूर्ण है |

आगामी समय में बढ़ सकता है सरसों का भाव-

दोस्तों वर्तमान समय में जिस तरह से सरसों की मांग को देखा जा रहा है तो सरसों की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है इस तरह से आने वाले समय में सरसों का भाव और ज्यादा बढ़ सकता है | दोस्तों वर्तमान में सरसों की मांग मार्केट में इसलिए बढ़ रही है क्योंकि सरसों बड़ी-बड़ी खरीदी केंद्र पर खरीदी जा रही है और इसका एक्सपोर्ट भी किया जा रहा है इस कारण से सरसों की मांग में वृद्धि हो रही है |

सरसों का  महत्त्व –

दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं सरसों के द्वारा तेल निकाला जाता है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने में किया जाता है साथ ही सरसों के तेल के द्वारा अचार, साबुन और गिल्सरोल आदि मे प्रयोग किया जाता है | सर हमारे दैनिक जीवन में प्रतिदिन उपयोग होने वाला उत्पाद है |

सरसों की खली का प्रयोग –

दोस्तों सरसो को मशीन के द्वारा पिराने के बाद अर्थात सरसों का तेल निकालने के बाद प्राप्त होने वाली खली का प्रयोग पशुओं के लिए भोजन के रूप में किया जाता है | खासकर भैंसों को सरसों की खली को भोजन के रूप में देखा इनसे अच्छी खासी मात्रा में दूध का उत्पादन किया जाता है | पशुओं के लिए खली बहुत लाभदायक होती है पशुओं के चमक के लिए और पशुओं के अच्छे आहार के लिए खली का प्रयोग बहुत लाभदायक होता है |

सरसों की खेती कहां -कहां होती है-

दोस्तों सरसों मूंगफली के बाद दूसरी सबसे बड़ी तिलहन की फसल है इसकी बुवाई रबी की फसल के साथ की जाति है |
दोस्तों सरसों की खेती पश्चिम बंगाल, बिहार ,मध्य प्रदेश ,उत्तर प्रदेश ,और असम अन्य राज्यों में भी की जाती है | दोस्तों सरसों की खेती भारत के अन्य राज्यों में भी की जाती है इसकी खेती करना बहुत ही आसान है |

सरसों की खेती से हो रहा किसानों को लाभ –

दोस्तों सरसों की खेती अन्य अनाज की तुलना में किसानों के लिए बहुत ही लाभप्रद है क्योंकि सरसों में दूसरी खेती की तुलना में बहुत ही कम पानी लगता है | जिन क्षेत्रों में पानी की मात्रा कम होती है उन क्षेत्रों में इसकी खेती बड़ी आसानी के साथ हो जाती है | दोस्तों सरसों की खेती की यदि अच्छे से देख रेख होती रहे और इसका उत्पादन सही तरीके से हो तो अन्य खेती की तुलना में अधिक लाभ कमाया जा सकता है | वर्तमान में 6500 से 7800 रुपए प्रति क्विंटल तक भाव चल रहा है |

सरसों का उत्पादन –

दोस्तों सही तरीके से सरसों की खेती करने पर 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सरसों का उत्पादन किया जा सकता है| लेकिन इतनी उपज पाने के लिए आपको नई तकनीकी यों का प्रयोग करना होगा साथ ही उन्नतशील विधियों के साथ सरसों की खेती करनी होगी जिसमें सिंचाई करने का तरीका भी अन्य खेती की तुलना में अलग होगा |

raai sarso mandi bhav 2022

सरसों की खेती में जैविक खाद का प्रयोग –

दोस्तों सरसों की खेती में जैविक खाद का प्रयोग करने से सरसों के उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है जिसमें सिंचित क्षेत्रों में 10 से 12 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से जैविक खाद का प्रयोग करना सही रहता है | इसके बाद असंचित क्षेत्रों में जैविक खाद का वीडियो 4 से 5 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से किया जा सकता है |

सरसों की खेती में खरपतवार नियंत्रण –

दोस्तों सरसों की खेती में यदि खरपतवार नियंत्रण नहीं किया गया तो सरसों के उत्पादन में 40% कमी आ जाती है | क्योंकि खरपतवार होने से सरसों के पौधे पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाते हैं और सरसों  के पौधों को पोषक तत्वों की कमी हो जाती है | खरपतवार होने से पोषक तत्व  का कुछ भाग ही सरसों को मिल पाता है बाकी पोषक तत्व खरपतवार ले लेते हैं | सरसों की खेती में अधिक खरपतवार होगा तो सरसों के पौधों को पर्याप्त मात्रा में हवा नहीं मिल पाएगी जिससे उनका विकास भी रुक  सकता है | दोस्तों खरपतवार की रोकथाम के लिए आपको नई तकनीकी कर रहे हो करना चाहिए और साथ ही कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करना चाहिए |

सरसों का प्रमुख कीट –

दोस्तों सरसों के उत्पादन में सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला सरसों का प्रमुख कीट मांहू या चेपा है | इस प्रकार का कीट सरसों के उत्पादन में भारी मात्रा में गिरावट पैदा कर देता है | इस प्रकार के कीट की रोकथाम के लिए आपको कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करना चाहिए |

सरसों के प्रकार

१. पीला सरसों –

दोस्तों इस प्रकार की सरसों के द्वारा निकाले जाने वाले तेल का प्रयोग बर्गर ,घर में बनने वाली सलाद ,कुत्तों के लिए और अन्य प्रकार के व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है  | पीली सरसों के दाने थोड़े छोटे होते हैं और इसका रंग हल्का पीला होता है जिसके कारण इसके तेल का रंग जीत पूरी हल्का पीला होता है | इस प्रकार की सरसों की खेती विदेशों में भी की जाती है और अच्छा उत्पादन किया जाता है | इस प्रकार की सरसों का तेल बहुत ही शानदार होता है और स्वादिष्ट भी होता है |

२. मीठा सरसों –

दोस्तों इस प्रकार के सरसों का स्वाद थोड़ी मीठा होता है जिस कारण इसकी मांग मार्केट में सबसे अधिक होती है जिसका उपयोग कई प्रकार के व्यंजन बनाने में किया जाता है | इस प्रकार की सरसों का प्रयोग मिठाईयां बनाने में सलाद बनाने में और साग बनाने में किया जाता है |

३. अनाज वाली सरसों –

दोस्तों इस प्रकार की सरसों के दाने थोड़े बड़े होते हैं और इसकी मांग भी मार्केट में अधिक होती है अनाज वाली सरसों के द्वारा निकलने वाला तेल का प्रयोग बड़े-बड़े व्यंजन बनाने में किया जाता है | नॉनवेज और मसालेदार व्यंजन जिनमें सबसे अधिक तेल की मात्रा होती है उनमें अनाज वाली सरसों का तेल का प्रयोग सर्वाधिक किया जाता है |

४. सफेद सरसों –

दोस्तों इस प्रकार की सरसों के दाने बड़े ही चमकदार होते हैं और गोल होने के साथ-साथ मध्यम आकार के दाने होते हैं | सफेद सरसों के दाने देखने में इतने सुंदर लगते हैं कि इनको देखकर लोग अपने आप आकर्षित हो जाते हैं | किस प्रकार की सरसों का प्रयोग भी मार्केट में अत्यधिक मात्रा में किया जाता है जिस कारण से इस प्रकार की सरसों की मांग भी मार्केट में सर्वाधिक होती है |

५. भूरी सरसों –

भूरी सरसों गोल छोटे दाने और रंग हल्का भूरा होने के कारण इसकी मांग थोड़ी मात्रा में कम होती है लेकिन इसके द्वारा उत्पादित किया जाने वाला तेल बहुत लाभदायक होता है | सरसों के तेल का प्रयोग कई प्रकार की दवाइयों के रूप में किया जाता है |

६. काली  सरसों –

दोस्तों काली सरसों देखने में  अन्य सरसों की तुलना में बहुत अच्छी लगती है इसके दाने भी बड़े होते हैं | इस प्रकार की सरसों का रंग हल्का काला होने के कारण इसमें निकलने वाला तेल भी थोड़ा काला होता है लेकिन इस प्रकार के तेल का प्रयोग बड़े-बड़े रेस्टोरेंट में किया जाता है | काली सरसों का तेल बहुत ही स्वादिष्ट होता है जिस कारण से इसकी मांग भी अधिक होती है |

सरसों की बुवाई करने से पहले कभी ना करें यह गलती –

दोस्तों सरसों के अच्छे उत्पादन के लिए आपको हमेशा नई तकनीकियों को ध्यान में रखते हुए सरसों की खेती को करना चाहिए | साथ ही उन्नत किस्म के बीज हमें प्रयोग में लाना चाहिए अर्थात ऐसे भी जिनकी रोग रोधक क्षमता अच्छी हो और उत्पादन अधिक होता हो |

सरसों की बुवाई के पहले जमीन की अच्छी तरह से जुताई करके उसे बुवाई के योग्य बना लेना चाहिए | प्रत्येक किसान के लिए यह जरूरी है कि यदि वह सरसों की खेती करता है तब खरपतवार नियंत्रण पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि खरपतवार होने के कारण हमारे उत्पादन में हमेशा 40% तक कमी आ सकती है |

राई ,सरसों के बीज का दैनिक जीवन में प्रयोग –

दोस्तों राई सरसों के बीज में कई प्रकार के विटामिन और प्रोटीन पाए जाते हैं जिसमें मुख्य रुप से फोलिट , विटामिन ए, विटामिन सी तथा पोटेशियम और फास्फोरस जैसे महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक होते हैं | सरसों के बीज का प्रयोग कई लोग लड़के के रूप में लेकर भोजन को और दो स्वादिष्ट बना देते हैं साथ ही कई प्रकार के ऐसे व्यंजन होते हैं जिनमें राई के बीजों का प्रयोग किया जाता है जैसे समोसा और अन्य बहुत तेज से पदार्थ है दिन में मुख्य रूप से लड़का के रूप में राई के बीजों का प्रयोग किया जाता है |

पराठे बनाने में सरसों के तेल का प्रयोग-

दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं पराठे बच्चों को और बड़े ,बूढ़ों को सबको पसंद होते हैं जिसको बनाने में मुख्य रूप से सरसों के तेल का प्रयोग किया जाता है | घर परिवार में तो केवल बच्चों के स्कूल जाने पर पराठे तैयार किए जाते हैं लेकिन कई बार नाश्ते के रूप में भी सबके लिए पराठे तैयार किए जाते हैं जिसमें मुख्य रुप से सरसों के तेल की मांग अधिक होती है | दोस्तों पराठे यहीं तक सीमित नहीं रहे मार्केट में भी लोग बहुत ज्यादा मात्रा में पसंद करते हैं जिस कारण से मार्केट में सरसों के तेल की मांग बहुत अधिक होती है | दोस्तों पराठे को सॉस के साथ खाया जाता है जिससे पराठे का और महत्व बढ़ जाता है |

सरसों की बुवाई के पहले करवा लें भूमि की जांच –

दोस्तों यदि सरसों के अच्छे उत्पादन को करना है तो भूमि परीक्षण करवाना बहुत जरूरी होता है जिसके लिए आप सरसों की बुवाई से पहले भूमि परीक्षण करवा सकते हैं | भूमि परीक्षण से भूमि में होने वाले पोषक तत्वों की कमी का पता चल जाता है साथ ही जांच के बाद पता चलता है कि कौन सी खेती सबसे अधिक मात्रा में की जा सकती है | भूमि परीक्षण करवाने के बाद आप अच्छे तरीके से खेती कर पाएंगे और खेती में होने वाले नुकसान से बच पाएंगे |

निष्कर्ष – सरसों का भाव

दोस्तों सरसों की खेती के लिए आपको मृदा परीक्षण के साथ-साथ उसमें होने वाली कमी को पूरा करना होगा | यदि भूमि में पोषक तत्वों की कमी को आप जैविक खाद के द्वारा  पूरी कर के अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं | सरसों में होने वाले रोगों के बारे में भी आपको अच्छी जानकारी होना चाहिए जिसके कारण होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है |यदि आप सरसों में होने वाले रोगों के बारे में जानते हैं तो आप उनका अच्छे से निदान पा सकेंगे और सरसों को रोगों से बचाने के लिए आप कई तरीका अपना सकते हैं जिसमें मुख्य रुप से कीटाणु नाशक दवा का प्रयोग कर सकते हैं |

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