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शाजापुर जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल –
हेलो दोस्तों! जैसा कि आप जानते हैं आज हम आपको शाजापुर जिले की विस्तृत जानकारी आपके सामने पेश करने जा रहे हैं | सबसे पहले मैं आपको बता दूं शाजापुर जिले के अंतर्गत जो भी पर्यटक स्थल पाए जाते हैं सभी की विस्तृत जानकारी आपको दी जाएगी | आज मैं आपको बताऊंगा शाजापुर जिले के अंतर्गत कौन-कौन से धार्मिक स्थल है ?उन धार्मिक स्थलों की स्थापना किसके द्वारा की गई ?ऐसे कौन से धार्मिक स्थल हैं जहां पर सबसे ज्यादा मात्रा में लोग एकत्रित होते हैं ? शाजापुर जिला के अंतर्गत बहुत से ऐतिहासिक और धार्मिक तीर्थ स्थल पाए जाते हैं जिनके बारे में आज आपको संपूर्ण जानकारी दी जाएगी |
शाजापुर जिले के बारे में-
मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले का पुराना नाम” काकड़ा खेड़ी ” है इस जिले नाम प्रसिद्ध मुगल बादशाह शाहजहां ने शाहजहांपुर कर दिया था लेकिन बाद में बदलते -बदलते यह है शाजापुर के रूप में जाना जाता है |
शाजापुर जिला उज्जैन संभाग के अंतर्गत आता है यह जिला बेतवा नदी के तट पर बसा हुआ है | शाजापुर जिले की सीमा राजस्थान राज्य को स्पर्श करती है |
प्रमुख मंदिर | राजराजेश्वरी , करेड़ी माता मंदिर, पांडुखोरा महादेव मंदिर, बाबा रामदेव मंदिर, महाकाल मंदिर, नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर, मदखोरा महादेव मंदिर, |
जैन तीर्थ स्थल | पार्श्वनाथ मंदिर, मक्सी के जैन मंदिर |
बांध | चिल्लर बांध |
प्रसिद्ध मंडी | कालापीपल मंडी और सुजालपुर अनाज मंडी |
मेला | मोमन बड़ोदिया का मेला |
नदियां | बेतवा और चिल्लर |
दरगाह | शमसुद्दीन दरगाह |
उद्योग | शाजापुर स्वर्ण उद्योग |
किला | शाजापुर किला |
मध्य प्रदेश का विष संग्रहालय | शाजापुर जिला |
शाजापुर जिले की कुछ प्रमुख पर्यटक स्थल-
▶️ राजराजेश्वरी मंदिर-
शाजापुर से निकलने वाला आगरा -मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप राज राजेश्वरी नाम से एक प्रसिद्ध मंदिर प्राचीन काल से ही निर्मित है| राजराजेश्वरी मंदिर माता शक्ति की एक खंडपीठ है जिसकी स्थापना पिलर नदी के तट पर की गई है बाद में इस मंदिर का नाम राजराजेश्वरी माता मंदिर के नाम से विख्यात हो गया |
दोस्तों इस मंदिर का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है और कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण दान की गई भूमि पर किया गया है| कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए 4 बीघा जमीन और 2 विश्वा भूमि मनीबाई पलटन में दान कर दी थी |
जानकारी के अनुसार पता चलता है कि 1791 में ₹4001 महारानी ताराबाई के द्वारा इस मंदिर के निर्माण के लिए दान में दिए गए थे | राजराजेश्वरी माता की मूर्ति की ऊंचाई लगभग 6 फीट है और यहां पर 1734 में एक सुंदर सभा मंडप का निर्माण करवाया गया था |
यह मंदिर प्रमुख रूप से आस्था का केंद्र बन चुका है प्रमुख रूप से यह धार्मिक मंदिर है परंतु यहां पर आना धर्मों के लोग भी माता के दर्शन करने के लिए आते हैं | मंदिर के अंदर एक कुआं देखने को मिलता है जो कि बहुत प्राचीन है | इस मंदिर के अंतर्गत माता राजराजेश्वरी के अलावा भगवान श्री गणेश और भगवान शिव की प्राचीन मूर्तियों को देखा जा सकता है | माता के दरबार में अर्जी लगाने वाली स्त्रियों कि बांझपन जैसी समस्याओं दूर किया जाता है माता की कृपा से उनको संतान की प्राप्ति हो जाती है |
▶️ करेड़ी माता मंदिर-
करेड़ी माता मंदिर शाजापुर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंदिर है यह मंदिर मालवा पठार के अंतर्गत आता है और मालवा पठार का प्रमुख पूजनीय मंदिर है | इस मंदिर में विराजमान माता को “कंकावती माता” के रूप में भी जाना जाता है |
दोस्तों कहीं सूत्रों से पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत के वीर योद्धा महादानी कर्ण के द्वारा करवाया गया था | यहां पर आपको एक छोटा सा जलकुंड भी देखने के लिए मिलता है जिसमें पूरे वर्ष भर पानी हमेशा मौजूद रहता है कहा जाता है कि यह जलकुंड कभी भी खाली नहीं होता | चैत मास की रंग पंचमी को यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें दूर-दूर से हजारों की संख्या में लोग इस मेले का हिस्सा बनते हैं और आनंद लेते हैं |
यह मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है इसलिए है क्योंकि यहां पर नाग वंश के साक्ष्य मिले हैं कहा जाता है कि प्राचीन समय में नागवंश भी हुआ करता था | यहां पर जितनी भी मूर्तियां मिलती हैं उनमें नाग जैसी आकृति भी बनी दिखाई देती है और कई लोग यह दावा भी करते हैं कि ऐतिहासिक काल में नागवंश भी हुआ करता था |

▶️ पार्श्वनाथ मंदिर-
यह मंदिर दिगंबर और श्वेतांबर के लिए प्रसिद्ध है जिनकी कथा जैन धर्म के ग्रंथों में सुनने को मिलती है | यहां पर जैन मंदिर धर्मों के बहुत से मंदिर मिलेंगे परंतु उन सभी मंदिरों में भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति सबसे प्रमुख है | दोस्तों वैज्ञानिकों का दावा है कि इस मंदिर में कभी भी पूरी नहीं हो सकती वर्तमान समय में इस मंदिर की दीवारें प्रत्येक समय गीली बताई जा रही है | जैन धर्म का यह मंदिर लगभग 2000 साल से भी अधिक पुराना मंदिर बताया जा रहा है और यहां पर प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार भी यही प्राप्त होता है | जैन समुदाय की आपको दो पंथ मिलेंगे जिनमें प्रमुख रूप से श्वेतांबर और दिगंबर दोनों ही आते हैं | समय-समय पर यहां पर जैन धर्मों की प्रसिद्ध संत ऐसे तीर्थ स्थल की यात्रा करते और यहां पर ठहरते भी हैं | आसपास के सभी निवासी लोग संतो की पूजा करने के लिए श्रद्धा पूर्वक इस तीर्थ स्थल पर आते हैं और दर्शन करते हैं |
▶️ शाजापुर वन भूमि-
शाजापुर जिले के अंतर्गत आने वाली वन भूमि यहां का एक ऐसा पर्यटक स्थल है जहां से समुद्र तट की और नदी धाराओं की प्रबल होने की जानकारी मिलती है | यहां पर दावा किया गया है कि लकुंदर और आहू क्षेत्र मुख्य धाराएं हैं जिनको उत्तर कोरिया की और निर्देशित किया गया है | शाजापुर वन भूमि के अंतर्गत जितना भी क्षेत्र आता है पूर्व वन क्षेत्र और घना जंगल है | बरसात के समय में यह जंगल पूरी तरीके से हरा-भरा और सुंदर लगने लगता है परंतु गर्मियों के समय में जंगल के पेड़ पौधों से पत्ते गिर जाने के कारण जंगल पूरा खाली दिखाई देने लगता है
▶️ चिल्लर बांध शाजापुर-
शाजापुर जिले के अंतर्गत आने वाला चिल्लर बांध यहां का प्रमुख पर्यटक स्थल है | यह बांध शाजापुर बांध के नाम से भी जाना जाता है यहां पर घूमने के लिए कोई भी अपनी पूरी फैमिली के साथ आ सकता है | वर्तमान समय में इस बांध को देखने के लिए प्रतिदिन कोई न कोई आता रहता है आने जाने के लिए संपूर्ण व्यवस्था की गई है | चिल्लर बांध पर आपको ठहरने की व्यवस्था भी उपलब्ध करा दी जाती है और यहां पर आप अपने परिवार के साथ अच्छा समय बिता सकते हैं |
इस बांध का निर्माण शहर से थोड़ा दूर किया गया है और बांध के पास में ही एक सुंदर गार्डन भी स्थित है जिसे देखने के लिए कोई भी जा सकता है | इस बांध की सबसे अच्छी खासियत यह है कि यहां पर उगता हुआ सूरज बहुत ही सुंदर दिखाई देता है | यदि आप इस बांध से उगता हुआ सूरज देखेंगे तो आपको ऐसा प्रतीत होगा जैसे कि आप पूरी तरीके से स्वर्ग में निवास कर रहे हैं | उगता हुआ सूरज यहां पर प्रकृति को लेकर चलता है और उसकी सुंदरता को चारों तरफ फैला देता है | उगता हुआ सूरज पहाड़ों से निकलकर बांध की तरफ जाते हुए दिखाई देता है और उसकी सुंदर करने हमारे मन को शीतल कर देती हैं | इस बांध से उगता हुआ सूरज जितना सुंदर लगता है ठीक हूं उतना ही डूबता हुआ सूरज भी लगता है | यह बांध तीन तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है यहां पर बरसात के समय यह बात पूरी तरीके से भर जाता है | बहुत ज्यादा भर जाने के कारण इसकी गेट खोलिए जाते हैं गेट खुल जाने से बांध का पानी धीरे-धीरे बाहर निकलने लगता है गिरता हुआ पानी एक झरने की तरह प्रतीत होता है |
यह बहुत ज्यादा दूर तो नहीं है परंतु शाजापुर जिले से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर इस बांध का निर्माण किया गया है | आप यहां पर अपने पर्सनल वाहन के माध्यम से भी जा सकते हैं और जाने के लिए अन्य वाहन भी उपलब्ध होते हैं |

चिल्लर नदी-
शाजापुर जिले के अंतर्गत आने वाली यही एक छोटी सी नदी है परंतु यहां पर यह नदी बहुत ही सुंदर और आकर्षक नदी है | शाजापुर जिले के बाहर यह नदी शाजापुर के ठीक बिल्कुल समीप बहती है जिस कारण से यहां पर स्थानीय निवासी के लोग इस नदी में स्नान करने के लिए जाते रहते हैं | नदी के दोनों तरफ घने जंगल बहुत सुंदर लगते हैं और उन घने जंगलों से होकर यह नदी बहती है | जंगल में जितने भी जीव जंतु बोल जानवर पाए जाते हैं उन सभी की पानी की आवश्यकता को इसी नदी के द्वारा पूरा किया जाता है |
▶️ पांडु खोरा महादेव मंदिर-
दोस्तों यह मंदिर भगवान शिव के लिए प्रसिद्ध है काफी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है | भगवान शिव के दर्शन करने के लिए वैसे तो प्रतिदिन लोग यहां पर आते रहते हैं परंतु प्रति महीने की अमावस्या को यहां पर हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे होते हैं | भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए लोग आसपास के तो आते ही हैं परंतु बहुत दूर दूर से भी लोग पूरी व्यवस्था के साथ आ जाते हैं | इस मंदिर परिसर में आपको पूरी व्यवस्था हो जाती है आपके ठहरने के सारे इंतजाम उपलब्ध हो जाते हैं |
इस मंदिर के अंदर आपको भगवान शिव की बहुत ही सुंदर शिवलिंग देखने को मिलती है | इस मंदिर का निर्माण शाजापुर से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर किया गया है | महाशिवरात्रि की पावन पर्व पर यहां पर प्राचीन समय से ही भव्य मेले का आयोजन होता आ रहा है और आज भी यह मेला प्रतिवर्ष लगता है | मेले के दौरान बहुत सारी व्यवस्था यहां पर होती हैं क्योंकि यहां पर हजारों की संख्या में भीड़ इकट्ठी हो जाती है | मेले की इस भीड़ में कई बार लोगों की बिछड़ने की आशंका होती है जिस कारण से यहां पर माइक की पूरी व्यवस्था होती है और एक कार्यालय की भी पूरी व्यवस्था होती है | यदि कोई मेले में बिछड़ जाता है तो माइक के माध्यम से उसको आवाज दी जाती है और कार्यालय में बुलाया जाता है |
▶️ बाबा रामदेव मंदिर-
शाजापुर जिले के अंतर्गत एक छोटे से गांव चौहानी में स्थित बाबा रामदेव मंदिर एक छोटा सा मंदिर है परंतु यहां पर हजारों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है | यह मंदिर एक पुराने पेड़ के नीचे बना हुआ है मंदिर के दर्शन करने के लिए लोग हजारों की संख्या में आते हैं | प्रतिवर्ष यहां पर सर्दियों के समय में एक बार भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें बहुत दूर-दूर से लोग इसे मेले को देखने के लिए आते हैं | मेले के दौरान यहां पर बहुत कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं जिनको संभालने के लिए पुलिस बल की बहुत आवश्यकता होती है | मेले के आयोजन के दौरान भारी मात्रा में पुलिस बल को तैनात किया जाता है ताकि यहां पर होने वाली घटनाओं पर कंट्रोल किया जा सके | यही एक धार्मिक मंदिर है और काफी प्राचीन है इसे देखने के लिए स्थानीय निवासी तो आते ही हैं साथ में बहुत दूर-दूर के लोग भी आते हैं | कहा जाता है कि इस मंदिर में लगाई गई अर्जी कभी किसी की खाली नहीं जाती |
▶️ महाकाल मंदिर शाजापुर-
दोस्तों वैसे तो महाकाल मंदिर उज्जैन जिले में देखने को मिलता है जो कि पूरे देश विदेश मे फेमस है परंतु शाजापुर जिले के अंतर्गत एक छोटे से गांव नैनावद में बना हुआ महाकाल मंदिर के नाम से एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसमें भगवान शिव की शिवलिंग विराजमान हैं | शाजापुर जिले की किस प्रसिद्ध मंदिर पर सैकड़ों लोग अपनी अर्जी लेकर आते हैं | भगवान शिव के द्वारा यहां पर आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु की हर मनोकामना को पूरा किया जाता है |
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर यहां पर भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है जिसमें स्थानीय निवासियों के साथ साथ हजारों किलोमीटर दूर से भी लोग इस मेले का हिस्सा होते हैं | यह मंदिर शाजापुर नेशनल हाईवे के समीप स्थित है आप यहां पर डायरेक्ट अपने खुद के वाहन से जा सकते हैं और यदि आप ज्यादा दूर से हैं तो आप शाजापुर जिला मुख्यालय से दूसरा वाहन भी कर सकते हैं|
▶️ नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर शाजापुर-
शाजापुर जिले के अंतर्गत एक छोटी सी नदी बहती है जिसे चिल्लर नदी के नाम से जाना जाता है किसी नदी के किनारे यह मंदिर स्थित है जिसे नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है | इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग बहुत ही खूबसूरत और सुंदर लगता है| प्रत्येक अमावस्या को यहां पर स्थानीय निवासियों के साथ-साथ बहुत दूर-दूर से लोग भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए आते हैं | महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने के लिए लोग आते हैं और भगवान शिव के दर्शन करते हैं | दोस्तों जैसा कि कहा जाता है यदि आपको कुछ पाना है तो उसके लिए मेहनत जरूर करनी होगी ठीक उसी प्रकार से भगवान शिव की यह से मंदिर तक जाने के लिए आपको बहुत मेहनत करनी होती है क्योंकि यह मंदिर घने जंगलों में और यहां तक की जाने का रास्ता भी थोड़ा कठिन है |
भगवान शिव को नीलकंठ क्यों कहा जाता है?
दोस्तों अक्सर कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि भगवान शिव को नीलकंठ क्यों कहा जाता है? क्या कारण है कि उनका गला नीला दिखाई देता है ? दोस्तों आपको बता दें कि भगवान शिव का गला अथवा कंठ नीला होने के कारण ही उनको नीलकंठ कहा जाता है | शिव पुराण और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव की कथाएं इसके बारे में बताई जाती हैं | दोस्तों कहा जाता है कि भगवान शिव ने दुनिया को तबाही से बचाने के लिए यह शहर खुद धारण किया था जहर पीने के बाद भगवान शिव की हालत बहुत तेज बिगड़ने लगी थी परिणाम स्वरूप माता गंगा ने उनके गले में आसन लेकर उनके गले को शीतलता प्रदान की और जहर को अंदर नहीं जाने दिया | गले के अंदर जहर ना जाने के कारण उनका गला हुई तरीके से नीला पड़ गया जिस कारण से उनको उसी समय से नीलकंठ के नाम से जाना जाने लगा |
▶️ मक्सी के जैन मंदिर- Shajapur
किस मंदिर का निर्माण 1416 ई. समय करवाया गया था | इस मंदिर का निर्माण मांडलगढ़ राज्य की कोषा अध्यक्ष संग्राम सोनी के द्वारा करवाया गया है | दोस्तों कहा जाता है कि जहां पर यह मंदिर बनवाया गया है वहां पर जैन धर्म की प्रसिद्ध तीर्थंकर पार्श्वनाथ की मूर्ति प्रकट हुई थी | दोस्तों यह मंदिर पूरी तरीके से पत्थर से बना हुआ है देखने में इतना सुंदर और आकर्षक लगता है कि आप इसे देखते ही रह जाएंगे | जैसी नक्काशी इस मंदिर में देखने को मिलती है ऐसी नक्काशी आपको छतरपुर जिले के अंतर्गत आने वाले खजुराहो के मंदिर में देखने को मिल सकती है | इस मंदिर में आपको पार्श्वनाथ की काले रंग की मूर्ति देखने के लिए मिलती है और भगवान पार्श्वनाथ के अलावा यहां पर आपको आदिनाथ की भी मूर्ति देखने को मिलती है जो कि बहुत सुंदर है |

▶️ मदखोरा महादेव मंदिर-
शाजापुर जिले के अंतर्गत आने वाला एक छोटा सा गांव जिसे मधुपुरा के नाम से जाना जाता है उसी गांव के अंतर्गत भगवान शिव का एक मंदिर स्थापित है जिसे मदखोरा महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है | इस मंदिर के पास में ही एक छोटी सी नदी बहती है नदी के किनारे यह मंदिर स्थित होने के कारण बहुत सुंदर लगता है|
आसपास का वातावरण पूरी तरीके से स्वस्थ हो और सुंदर वातावरण है इस मंदिर तक जाने का रास्ता बिल्कुल भी खराब ना होने के कारण सैकड़ों लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं | आज से कई साल पहले यहां पर जाने का रास्ता ठीक ना होने के कारण यहां पर बहुत कम लोग ही आप आते थे परंतु वर्तमान समय में रास्ता एकदम क्लियर होने के कारण सैकड़ों लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं |
कालापीपल मंडी-
शाजापुर जिले के अंतर्गत आने वाली यही एक अनाज मंडी है जहां से हजारों क्विंटल अनाज का एक्सपोर्ट किया जाता है | अनाज मंडी में स्थानीय निवासी अपना उत्पादित किया हुआ अनाज अच्छे दामों में बेचकर लाभ कमाते हैं |
मोमन बड़ोदिया का मेला-
शाजापुर जिले के अंतर्गत आयोजित होने वाला यह है बहुत ही प्रसिद्ध और प्राचीन समय से ही आयोजित होने वाला मेला है | इस मेले को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग एकत्रित होते हैं | इस मेले में आपको भारी मात्रा में झूले देखने को मिलते हैं और तरह-तरह के नाटककार इस मेले में भाग लेते हैं और लोगों का मनोरंजन करते हैं |
सुजालपुर अनाज मंडी-
शाजापुर जिले की यह सबसे प्रसिद्ध मंडी बन गई है इस मंडी में रवि की फसलों से लेकर खरीफ की फसलों के सभी अनाजों को खरीदा जाता है और प्रदेश के बाहर एक्सपोर्ट किया जाता है | यहां पर भारी मात्रा में गेहूं की खरीदारी होती है और गेहूं के अलावा मटर ,चना, सरसों की भारी मात्रा में खरीदारी होती है और प्रदेश के बाहर एक्सपोर्ट भी किया जाता है | आसपास के सभी निवासी इस मंडी में अपना अनाज बेचकर अच्छा खासा लाभ कमा लेते हैं |
शाजापुर जिले का स्वर्ण उद्योग-
दोस्तों शाजापुर जिला प्रमुख रूप से करण उद्योग के लिए जाना जाता है क्योंकि यहां पर भारी मात्रा में सोने से निर्मित आभूषणों को बनाया जाता है | शाजापुर जिले के स्वर्ण उद्योग के सुंदर-सुंदर आभूषण निर्मित होकर प्रदेश के बाहर एक्सपोर्ट किए जाते हैं कहा जाता है कि इस उद्योग के बनाए गए स्वर्ण आभूषण बहुत सुंदर और पक्के होते हैं |
शाजापुर जिले के प्रमुख पर्यटन History GK Tourism FAQ’s
🌗 शाजापुर जिला किस नदी के किनारे बसा हुआ है?
मध्यप्रदेश का शाजापुर जिला बेतवा नदी के किनारे बसा हुआ है|
🌗 मध्य प्रदेश का कौन सा जिला स्वर्ण उद्योग के लिए जाना जाता है?
मध्यप्रदेश का शाजापुर जिला स्वर्ण उद्योग के लिए जाना जाता है |
🌗 शाजापुर किला कहां है?
शाजापुर किला मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में स्थित है और यह किला यहां पर बहने वाली चिल्लर नदी के तट पर बना हुआ है |
🌗 मध्य प्रदेश का विष संग्रहालय कहां पर है?
मध्यप्रदेश विष संग्रहालय शाजापुर जिले में स्थित है |
🌗 मध्यप्रदेश में बरसी की दरगाह किस जिले में है?
बरसी की दरगाह मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में स्थित है कहा जाता है कि इसी दरगाह की डिजाइन को देखकर दिल्ली की प्रसिद्ध जामा मस्जिद का डिजाइन किया गया था |
🌗 मध्यप्रदेश में मोमन बड़ोदिया का मेला कहां आयोजित होता है?
शाजापुर जिले में मोहन बड़ोदिया का मेला आयोजित होता है और इस मेले में प्रतिवर्ष हजारों लोग एकत्रित होते हैं |
🌗 शाजापुर जिले की कौन-कौन सी मंडी हैं?
शाजापुर जिले के अंतर्गत कालापीपल एवं सुजालपुर यहां की प्रसिद्ध अनाज मंडी हैं |
🌗 शमसुद्दीन का मकबरा कहां है ?
समसुद्दीन का मकबरा मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में स्थित है

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