विदिशा जिला | Vidisha District Wise GK History Tourism

विदिशा जिले का सामान्य परिचय

दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं मध्य प्रदेश के एक बहुत ही अनोखे जिले विदिशा के बारे में जिसका इतिहास बहुत ही रोचकमय है | विदिशा प्राचीन प्रसिद्ध शहर महेश्वर स्थान पर आता है जिसका इतिहास बहुत ही पुराना है |

Vidisha के समय-समय पर नाम बदले गए जिनमें प्रमुख रूप से विदिशा के पुराने नाम में बेस नगर, विश्व नगर ,महा मलिस्तान,वैश्य नगर इन सभी नामों में बेसनगर सबसे चर्चित और ज्यादा समय तक टिकने वाला नाम है |

विदिशा जिला का इतिहास बहुत ही पुराना और यहां पर प्रसिद्ध इमारतों के कारण यह जिला पर्यटक स्थल का केंद्र है | दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं विदिशा जिले के इतिहास के साथ -साथ यहां पर कितने पर्यटक स्थल है | विदिशा जिले में पर्यटन स्थल का क्या महत्व है सभी बातों पर चर्चा होगी |

लोहंगी पर्यटन स्थलजिला विदिशा
करीला का प्रसिद्ध मंदिरमाता सीता के लिए प्रसिद्ध 
विदिशा जिले की प्रमुख तहसीलें और विधानसभा11 तहसीले और 5 विधानसभा
नीलकंठेश्वर मंदिरविदिशा के उदयपुर में स्थित
विदिशा का माला देवी मंदिरविदिशा के ग्यासपुर में स्थित
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा चनाजिला विदिशा
उदयगिरि की गुफाएंगुप्त काल में निर्मित
मध्य प्रदेश की सिद्ध नदीविदिशा के सिरोंज तहसील के उद्गम
आलमगीरपुरविदिशा का पुराना नाम
कुरवई अनाज मंडीजिला विदिशा

▶️विदिशा जिले के दर्शनीय स्थल

⚫️मध्य प्रदेश का ‘भड्डलपुर ‘
⚫️गरुड़ स्तंभ
⚫️आलमगीरपुर से विदिशा
⚫️उदयगिरि की गुफाएं
⚫️विदिशा जिले का हलाली डैम
⚫️नीलकंठेश्वर मंदिर
⚫️माला देवी मंदिर
⚫️मध्य प्रदेश का करीला
⚫️मध्य प्रदेश का जी .आई . तार उद्योग
⚫️लोहंगी पर्यटन स्थल

▶️1. मध्य प्रदेश का ‘भड्डलपुर ‘ –

दोस्तों मध्य प्रदेश के विदिशा जिले को धार्मिक पुराणों में भी देखा जा सकता है क्योंकि विदिशा जिले का इतिहास बहुत पुराना और यहां पर बहुत ही प्रसिद्ध है राजाओं का निवास स्थल भी रहा है| हिंदू धर्म के कई धार्मिक ग्रंथों में विदिशा जिले को भद्रावती कहा गया है वह कई ग्रंथों में भड्डलपुर के नाम से भी जाना जाता है | दोस्तों इस जिले का इतिहास बहुत पुराना और यहां पर स्थित ऐतिहासिक इमारतों के कारण यह जिला बहुत ही घूमने योग्य जिला है |

✔️#Vidisha जिले को महान चक्रवर्ती राजा सम्राट “अशोक की ससुराल” भी कहा जाता है क्योंकि सम्राट अशोक की शादी विदिशा जिले की नगर सेठ की पुत्री कुमारी श्रीदेवी से हुआ था |

✔️#विदिशा जिला  इतिहास काल के दौरान शुंग वंश की राजधानी रहा है क्योंकि यहां पर पुष्यमित्र शुंग के द्वारा विदिशा जिले को राजधानी बनाया गया था |

✔️#पुष्यमित्र शुंग एक महान शासक और अपने कौशल के लिए जाने जाते थे |

✔️#गंग वंश का एक प्रसिद्ध शासक भागभद्र भी हुआ और इस राजा के शासनकाल में यूनान देश से एक दरबारी राजदूत आया था जिसे हेलिओडोरस कहा जाता था |

✔️#विदिशा जिले में और भारत के कई हिस्सों में चलने वाला भागवत धर्म शुंग वंश के प्रसिद्ध शासक भागभद्र के द्वारा ही चलाया गया था |

▶️2. गरुड़ स्तंभ-

मध्य प्रदेश का प्रमुख पर्यटक स्थल गरुड़ स्तंभ विदिशा जिले में स्थित है जो कि पर्यटकों का एक ऐसा आकर्षण है जहां पर लोग अक्सर देखने के लिए आते रहते हैं |

दोस्तों विदिशा जिले में निर्मित गरुड़ स्तंभ को” हेलिओडोरस स्तंभ ” भी कहा जाता है इसका इतिहास बहुत ही पुराना और दिलचस्प है |
130- 140 ईसा पूर्व हेलिओडोरस यवन राजा आलकिड्स का राजदूत बनकर आया था | हेलिओडोरस यवन समुदाय से होने के बाद भी भागवत धर्म का अनुयाई हो गया था और हेलिओडोरस ने विदिशा की यात्रा के दौरान विदिशा में भगवान विष्णु का गरुड़ स्तंभ बनवाया था जिसे “हेलिओडोरस स्तंभ ” भी कहा जाता है |

हेलिओडोरस स्तंभ का किस्सा बड़ा ही दिलचस्प और मनमुग्ध कर देने वाला है क्योंकि इसका इतिहास जानकर लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं | विदिशा जिले में बने इस स्तंभ के के माध्यम से आप 130 से 140 ई .पूर्व के इतिहास को बड़ी आसानी के साथ जान सकते हैं | स्तंभ पर उस समय की पूरी जानकारी को अंकित किया गया है जो साफ-साफ स्वर्ण अक्षरों में दिखाई देती है | विदिशा जिले का “हेलिओडोरस स्तंभ” विदिशा के प्रमुख पर्यटकों में से एक है यहां पर बहुत ही सुंदर और मनोरम दृश्य है |

 गरुड़ स्तंभ- Vidisha

▶️3. आलमगीरपुर से विदिशा-

दोस्तों जैसा कि मैंने आपको बताया विदिशा जिले के कई नाम देखे जा सकते हैं और जिनमें विदिशा जिले का एक नाम” आलमगीरपुर ” भी था | विदिशा जिले का आलमगीरपुर नाम मुगल शासक औरंगजेब के द्वारा रखा गया था | इतिहास काल के दौरान बहुत सी  ऐसी घटनाओं को देखा जा सकता है जिनका इतिहास बहुत ही पुराना है जिनमें मूर्तियों की कलाकृति को देखकर लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं कि आखिर इन को बनाने में कितना समय लगा होगा  | उस समय के राजाओं ने जिस क्षेत्र पर अपना शासन जमाया उस क्षेत्र के नाम में जरूर परिवर्तन किया है |

☑️*Alamgirpur से विदिशा नाम भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति जी के द्वारा सन 1952 में बदला गया था | 1952 के समय का यह वह दौर था जब भारत पर भारत का खुद का शासन  शुरू हो गया था |

दोस्तों विदिशा जिले के अंतर्गत आने वाली सिरोंज तहसील ‘मध्य प्रदेश के पुनर्गठन’ से पहले यह राजस्थान का हिस्सा हुआ करती थी| राजस्थान की “सिरोंज “तहसील को मध्यप्रदेश के पुनर्गठन के समय विदिशा जिले में ही मिला लिया गया था | विदिशा जिले के अंतर्गत बहने वाली बेतवा नदी विदिशा जिले की सुंदरता को कई गुना बढ़ा देती है |

✔️#जैन धर्म के प्रसिद्ध तीर्थंकर शीतल नाथ का जन्म मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में ही हुआ था |

✔️# जैन धर्म के  तीर्थंकर ‘शीतलनाथ ‘जैन धर्म के प्रचारक और अनुयाई थे |

✔️#Madhya Pradesh के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा जिले की ही कई बार सांसद रह चुके हैं |

✔️#Vidisha मध्य प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है जहां पर सबसे अधिक मात्रा में ‘चना का उत्पादन ‘किया जाता है |

✔️#विदिशा जिले के नदियों वाले क्षेत्र में चना का उत्पादन सर्वाधिक किया जाता है क्योंकि यहां पर  मिट्टी बहुत ही उपजाऊ होती है |

✔️#मध्य प्रदेश की” कुरवई अनाज मंडी” विदिशा जिले के अंतर्गत ही आती है यह मंडी मध्य प्रदेश की सबसे चर्चित और सबसे ज्यादा मात्रा में अनाज इकट्ठा करने वाली मंडी है |

✔️#इस मंडी के चर्चे पूरे देश में रहते हैं क्योंकि यहां पर एक से एक बढ़कर क्वालिटी में अनाजों को एकत्र किया जाता है |

▶️4. उदयगिरि की गुफाएं-

गुप्त काल यह समय में निर्मित “उदयगिरि की गुफाएं “विदिशा जिले के प्रमुख पर्यटकों में से एक है | इन गुफाओं का इतिहास बहुत ही रोचक और मन को आनंदित कर देने वाला है | इन गुफाओं के इतिहास में जो भी व्यक्ति थोड़ा बहुत भी जानता है या कहीं से सुनता है तो इनके बारे में और अधिक जानने का जिज्ञासु हो जाता है |

इन गुफाओं में लगभग 20 गुफाएं देखने को मिलती हैं जिनमें से 1 से 20 गुफाएं जैन धर्म के जुड़े हुए इतिहास को उजागर करती हैं | इन गुफाओं के अंतर्गत आने वाली गुफा नंबर 5 भगवान विष्णु के लिए प्रसिद्ध है और एक गुफा में वराह अवतार की मूर्ति को देखा जा सकता है यह मूर्ति पत्थर की मूर्ति है परंतु इसका आकार और बनावट बहुत ही सुंदर और खूबसूरत लगती है |

उदयगिरि की गुफाओ में आप भगवान विष्णु से संबंधित मूर्तियों को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं जो की बहुत ही सुंदर कलाकृति से निर्मित है | साथ ही उदयगिरि की गुफा में आप भगवान शिव से जुड़े बहुत से किस्सों को जान सकते हैं साथ ही देवी शक्ति की सुंदर प्रतिमाओं को आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं जिनमें माता के क्रियाकलापों को और उनकी शक्ति को चित्रों के माध्यम से तथा मूर्तियों के माध्यम से उजागर किया गया है |

इन गुफाओं का संबंध हिंदू धर्म और जैन धर्म से जुड़ा हुआ है जिनमें हिंदू धर्म के देवी देवताओं की मूर्तियों को और जैन धर्म से संबंधित मूर्तियों को आप यहां पर देख सकते हैं | उदयगिरि की गुफाओं का इतिहास बहुत पुराना होने के कारण यहां पर पर्यटक बड़ी संख्या में इसके इतिहास के बारे में जानने के लिए यहां पर आते हैं और पर्यटन का आनंद लेते हैं | विदिशा जिले का एकमात्र यह ऐसा स्थान है जहां पर पूरे वर्ष भर भीड़ बनी रहती है और वर्ष के सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा लोग आते हैं | दोस्तों इस स्थान पर कई बार खुदाई का काम भी शुरू किया गया और इस खुदाई में इतिहास काल की कई मूर्तियों को निकाला गया है जिसमें प्रमुख रुप से कुछ मूर्तियां बौद्ध धर्म से भी जुड़ी हुई है |

▶️5. विदिशा जिले का हलाली डैम-

विदिशा जिले के अंतर्गत आने वाला हलाली बांध लोगों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है क्योंकि यह बांध देखने में बहुत खूबसूरत लगता है |यहां पर पर्यटकों के लिए घूमने की पूरी व्यवस्था है और इस बांध के माध्यम से विदिशा जिले की बहुत सी जरूरतों को पूरा किया जाता है | हलाली बांध परियोजना को सम्राट अशोक सागर परियोजना के नाम से भी जाना जाता है |

☑️सन 1973 में हलाली नदी पर यह बांध बनाया गया है जो कि एक जलाशय के रूप में भी जाना जाता है | हलाली नदी बेतवा नदी की सहायक नदी है इस बांध का भ्रमण करने के लिए लगभग 2 से 3 घंटे का समय लग जाता है |

☑️हलाली नदी का इतिहास बहुत ही पुराना है शुरुआत में इसका नाम हलाली नहीं था ,हलाली नदी को शुरुआत में थाल नदी के नाम से जाना जाता था |

दोस्तों हलाली बांध देखने में बहुत ही खूबसूरत और पर्यटक महत्व का है यहां पर लोग अक्सर घूमने आते रहते हैं | हलाली बांध को घूमने के लिए वर्तमान में किसी भी प्रकार की फीस नहीं ली जाती है| हलाली बांध 945 मीटर लंबा और लगभग 30 मीटर ऊंचा बांध है | सर्दियों के मौसम में यहां पर सबसे ज्यादा लोग जनवरी के महीने में आते हैं |

विदिशा जिले का हलाली डैम-

▶️6. नीलकंठेश्वर मंदिर-

मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में एक छोटे से स्थान पर निर्मित नीलकंठेश्वर मंदिर पूरे प्रदेश में विख्यात है इसका इतिहास बहुत ही पुराना और देवी-देवताओं से जुड़ा हुआ है |

विदिशा जिले के अंतर्गत आने वाला नीलकंठेश्वर मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज के पुत्र उदयदित्य के द्वारा( 1010- 1050) ईसवी के समय करवाया था | दोस्तों हजारों वर्ष पहले निर्मित किए गए मंदिरों पर तिथियां अंकित की जाती थी इन तिथियों की सहायता से मंदिरों अथवा इमारतों का जीवनकाल का पता किया जाता था | वर्तमान में बहुत ही इमारतें ऐसी हैं जहां पर अंकित तिथियों को पता नहीं किया जा सकता क्योंकि वे तिथियांपूर्ण रूप से मिट चुकी हैं | नीलकंठेश्वर मंदिर इतिहास का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर अंकित तिथि को आसानी से देखा जा सकता है | ज्यादातर मध्य भारत में निर्मित इतिहास काल की इमारतों में अंकित तिथि को नहीं देखा जा सकता क्योंकि यह तिथियां मिट चुकी हैं | दोस्तों नीलकंठेश्वर मंदिर बहुत ही पुराना और खूबसूरत मंदिर है यहां पर पर्यटक इस मंदिर को देखने के लिए अक्सर आते रहते हैं |

▶️7. माला देवी मंदिर-

विदिशा जिले की ग्यारसपुर तहसील के अंतर्गत आने वाला यह माला देवी मंदिर प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है | ग्यारसपुर तहसील के बीचो-बीच एक पहाड़ी है और इसी पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है |पहाड़ी पर होने के कारण यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत और यहां का नजारा एकदम मनोरम मंत्रमुग्ध कर देने वाला है| विदिशा जिले का माला देवी मंदिर पर्यटकों का केंद्र है और इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर पत्थरों की सुंदर -सुंदर मूर्तियां बनी हुई है जिस कारण से यह बहुत ही प्रसिद्ध है | यह मंदिर काफी बड़ा होने के कारण पहाड़ी की एक हिस्से को काट कर इस मंदिर को बनाया गया था | इस मंदिर के गर्भ गृह में किसी भी पर्यटक को अंदर जाने के लिए नहीं मिलता | इस मंदिर की नक्काशी और कला की बहुत ही भिन्न तरीके से की गई है जिस कारण से यह बहुत ही खूबसूरत लगता है |

माला देवी मंदिर का निर्माण–

माला देवी मंदिर का निर्माण 850-900 CE प्रतिहार वंश के द्वारा किया गया है | यह मंदिर मारु गुर्जर शैली में बनाया गया है | गुप्त काल की शिल्प वास्तुकला के लिए यह मंदिर जाना जाता है |

▶️8. मध्य प्रदेश का करीला-

मध्य प्रदेश का प्रमुख तीर्थ स्थल करीला विदिशा से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर और अशोकनगर जिले के करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | यह मंदिर हिंदू सनातन धर्म से संबंध रखता है जब का इतिहास पुराणों और रामायण में देखा जा सकता है | करीला धाम का इतिहास माता सीता के दोनों पुत्र लव और कुश से जुड़ी हुई कहानी को उजागर करता है |

✔️#यह मंदिर माता सीता के लिए प्रसिद्ध है यहां पर भगवान श्री राम के बिना ही माता सीता की पूजा की जाती है |

✔️#प्रतिवर्ष चैत्र महीने की नवरात्रि की पंचमी को यहां पर करीला का भव्य मेला आयोजित किया जाता है जिसमें कई हजार लोग शामिल होते हैं |

✔️#करीला में 20,000 से अधिक प्रति वर्ष मेले के दौरान यहां पर पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर रखा जाता है क्योंकि मेले के दौरान बहुत अधिक मात्रा में भीड़ होती है |

✔️#करीला धाम पर धार्मिक राई का प्रचलन चलता है इस धाम की ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक श्रद्धालु अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए यहां पर एक बार राई नृत्य जरूर करवाता है |

✔️#प्रतिवर्ष चैत्र के महीने में यहां पर लगभग 1 महीने तक मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें 100000 से भी अधिक लोगों के आने की जानकारी है|

▶️9. मध्य प्रदेश का जी .आई . तार उद्योग-

विदिशा जिला में वनस्पति उद्योग यहां का सबसे चर्चित और फेमस उद्योग है लेकिन पूरे प्रदेश में केवल विदिशा जिले के भीतर पाए जाने वाले जी आई तार के उद्योग के कारण यह जिला काफी प्रसिद्ध है |

▶️10. लोहंगी पर्यटन स्थल-

विदिशा जिले में लगभग 180 फीट ऊंची यह एक पहाड़ी है जिसे वर्तमान में “राजेंद्र गिरी” के नाम से भी जाना जाता है | प्राकृतिक सुंदरता को यहां पर बड़ी आसानी से देखा जा सकता है |  सूर्यास्त के समय डूबते हुए सूरज को यहां पर प्रकृति के मनोरम दृश्य को देखा जा सकता है | एक पहाड़ी के चारों और रायसेन का किला और उदयगिरि की पहाड़ियां स्थित हैं जोकि विदिशा जिले के प्रमुख पर्यटक स्थल है |

लोहंगी पर्यटन स्थल- Vidisha

▶️विदिशा जिले के दर्शनीय स्थल FAQ’S [ Vidisha district attractions FAQ’S ]

☑️प्रश्न 1. मध्यप्रदेश का भड्डलपुर किस जिले को कहा जाता है?

मध्य प्रदेश के विदिशा जिले को’ भड्डलपुर’ कहा जाता है और इसका यह नाम धार्मिक पुराणों में देखने को मिलता है | कहीं-कहीं पर विदिशा जिले का नाम भद्रावती भी देखा गया है |

☑️प्रश्न 2. सम्राट अशोक चक्रवर्ती की पत्नी का क्या नाम है?

संपूर्ण भारतवर्ष पर राज करने वाले महान राजा सम्राट अशोक चक्रवर्ती की शादी विदिशा जिले के नगर सेठ की पुत्री के साथ हुई थी जिनका नाम श्रीदेवी था |

☑️प्रश्न 3 .”भागवत धर्म “किसने चलाया?

शुंग वंश का एक प्रसिद्ध राजा भाग भद्र हुआ जिसके दरबार में यूनानी राजदूत ‘हेलिओडोरस ‘आया था और इसी राजदूत ने “भागवत धर्म” चलाया था |

☑️प्रश्न 4 .गरुण स्तंभ कहां पर स्थित है?

गरुड़ स्तंभ मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थापित है |

☑️प्रश्न 5 . आलमगीरपुर नाम किस जिले का है |

मुगल शासक औरंगजेब के द्वारा विदिशा जिले का नाम बदला गया था और यह नाम आलमगीरपुर रखा गया था |

☑️प्रश्न 6. Vidisha जिले का विदिशा का नाम किसने रखा ?

विदिशा जिले का विधि का नाम भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी के द्वारा रखा गया है और यह नाम सन 1952 में रखा गया था |

☑️प्रश्न 7 .मध्यप्रदेश में बहने वाली सिद्ध नदी की उद्गम कहां से होती है?

मध्य प्रदेश में बहने वाली सिद्ध नदी का उद्गम विदिशा जिले की सिरोंज तहसील से होता है | इस नदी का ज्यादातर भाग विदिशा जिले के अंतर्गत ही आता है |

☑️प्रश्न 8. उदयगिरि की गुफाएं कहां पर स्थित है?

उदयगिरि की गुफाएं मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के अंतर्गत आते हैं और यह गुफाएं गुप्त काल के समय की गुफाएं हैं |

☑️प्रश्न 9 .अशोक सागर परियोजना किस जिले में है?

अशोक सागर परियोजना मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में आती है|

☑️प्रश्न 10 .हलाली डैम कहां पर स्थित है?

हलाली डैम मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित है ?

☑️प्रश्न 11 .नीलकंठेश्वर मंदिर कहां पर स्थित है?

नीलकंठेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित है?

☑️प्रश्न 12 .सीता माता मंदिर कहां पर स्थित है?

सीता माता मंदिर मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के अंतर्गत ही आता है हालांकि इसका कुछ हिस्सा अशोकनगर जिले के अंतर्गत भी आता है | सीता माता की एक प्रसिद्ध मंदिर को करीला माता मंदिर के नाम  से भी जाना जाता है |

☑️ प्रश्न 13. करीला माता मंदिर कहां पर स्थित है?

प्रसिद्ध करीला माता मंदिर मध्य प्रदेश विदिशा जिले के अंतर्गत आता है और यह सब धाम की कुछ सीमा अशोकनगर जिले के भी लगती है |

☑️प्रश्न 14. करीला में मेला कब लगता है?

करीला धाम में मेला प्रतिवर्ष नवरात्रि के दौरान आयोजित होता है यहां पर लाखों लोग इस मेले में भाग लेते हैं |

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