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रतलाम जिले के प्रमुख पर्यटक स्थल-
हेलो दोस्तों!
आज हम आपसे एक बार फिर रतलाम जिले के बारे में बात करने आए हैं जिसमें प्रमुख रुप से रतलाम जिले की खूबसूरती के बारे में चर्चा होगी | मध्य प्रदेश का रतलाम जिला उज्जैन संभाग के अंतर्गत आता है आज हम आपको इस जिले के सभी पर्यटक स्थलों के बारे में जानकारी देंगे |
यहां पर पाई जाने वाली प्रमुख नदियों की संपूर्ण विस्तृत जानकारी आपके सामने उजागर की जाएगी इन नदियों के द्वारा मिलने वाले जल का उपयोग रतलाम जिला किस तरीके से करता है ? रतलाम जिले की कौन-कौन से पर्यटक स्थल हैं ,जो राष्ट्रीय महत्व के हैं |उनकी अपनी-अपनी क्या छवि है? कौन-कौन से ऐतिहासिक स्थल हैं, सभी के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे |
जिले के बारे में कुछ विशेष-
दोस्तो! रतलाम जिले के बारे में तो कुछ कहना ही उचित नहीं होता क्योंकि यह जिला चारों तरफ से बहुत ही खूबसूरत है | मालवा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला यह जिला सुंदरता से भरा पड़ा है | मध्य प्रदेश का रतलाम जिला काफी पुराना जिला है| मध्य प्रदेश के गठन के समय से ही है जिला अपने अस्तित्व में हैं|
इस जिले की स्थापना 26 जनवरी 1949 को हो चुकी थी | इस जिले का विस्तार लगभग 8661 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है |
किला | रतलाम किला |
स्थापना | 26 जनवरी 1949 |
बांध | धोलावाड़ बांध |
गार्डन | कैक्टस गार्डन |
पूरे देश में प्रसिद्ध | एकमात्र जिला खरमौर पक्षी के संरक्षण के लिए जाना जाता है |
मंदिर | कालिका माता मंदिर,गढ़ खंखाई माताजी, अष्टपद जैन मंदिर, केदारेश्वर महादेव मंदिर, |
कीर्ति सेलिलाना | 1859 – 1919 में निर्मित |
तालाब | माही भाषी तालाब |
पर्यटक स्थल | बाहरी बाग, मध्य प्रदेश का लोटस टेंपल |
उद्योग | अल्कोहल एंड कार्बन डाइऑक्साइड प्लांट |
रत्न नगिरी | जिला रतलाम |
अभ्यारण | सैलाना पक्षी फ्लोरीकल अभ्यारण |
मध्य प्रदेश का अंगूर अनुसंधान केंद्र | रतलाम जिला |
रतलाम जिले के कुछ प्रमुख पर्यटक स्थल-
🌗 रतलाम किला-
रतलाम जिले के अंतर्गत आने वाला एक बहुत ही प्राचीन और ऐतिहासिक किला मौजूद है जिसे रतलाम किले के नाम से जाना जाता है | यहां पर आप आने के बाद बहुत ही प्राचीन और ऐतिहासिक युद्ध की सामग्रियां देख सकते हैं जो कि इस किले में आज भी मौजूद हैं | यह किला एक ऊंची पहाड़ी पर बनाया गया है जो देखने में बहुत ही सुंदर है | दोस्तो दुर्भाग्य की बात तो यह है कि इसके लिए की देखरेख और सुरक्षा की कोई भी प्रकार की व्यवस्था नहीं है जिस कारण से यह किला खंडहर हो रहा है |
दोस्तों आपको ज्यादातर किले पहाड़ की ऊंचाई पर मिलेंगे | ऊंचाई पर किले का निर्माण इसलिए किया जाता था ताकि वहां से युद्ध करने में आसानी हो क्योंकि अक्सर एक रियासत पर दूसरी रियासत के राजा का आक्रमण होता ही रहता था | ऊंचे पहाड़ से आसानी से सैनिक बड़ी-बड़ी चट्टानों के साथ औरतों के साथ युद्ध कर सकते थे जिस कारण से उनको ऊंचाई पर निर्मित किया जाता था | पहाड़ पर किले का निर्माण करने के साथ-साथ कल घर का भी निर्माण किया जाता था और कहीं ना कहीं से किसी एक ऐसे रास्ते का निर्माण किया जाता था ताकि संकट के समय बाहरी द्वार से किले के बाहर निकला जा सके | दोस्तों आपको इस किले में भी कुछ इस तरीके का एक द्वार मिलता है जो कि लेकर बिल्कुल बाहर निकलता है परंतु इस द्वार के अंदर कोई भी नहीं जा सकता क्योंकि वहां पर एक दम अंधेरा देखा जा सकता है |
🌗 धोलावाड़ बांध-
मध्यप्रदेश के रतलाम जिले से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर रतलाम जिले के पश्चिम की ओर यह बांध स्थित है | रतलाम जिले का यह एक प्रमुख बांध है यहां पर जाने के लिए आपको वर्तमान समय में किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि बांध तक जाने का रास्ता पूरी तरीके से क्लियर है और सुंदर है |
रतलाम जिले के धोलावाड़ बांध को “सरोज सरोवर बांध” के नाम से भी जाना जाता है | धोलावाड़ बांध रतलाम शहर के नजदीक पड़ता है | दोस्तों यदि आप धोलावाड़ बांध का भ्रमण करने के लिए जा रहे हैं तो आप पूरा समय लेकर जाएं क्योंकि यहां पर दोपहर के समय में ज्यादा अच्छा नहीं लगता यदि आप प्रकृति का पूरा आनंद उठाना चाहते हैं और यहां का नजारा देखना चाहते हैं तो आपको सुबह से लेकर शाम तक रुकना होता है |
इस बांध का सबसे सुंदर दृश्य सुबह के समय उगते सूरज को देखना सुंदर-सुंदर किरणे बांध में तैरती हुई आगे की ओर बढ़ती हैं जो प्रकृति की एक अनोखी सुंदरता का प्रतीक है | शाम के समय डूबता हुआ सूरज और लहलहाते पानी के साथ जाती हुई किरणें हमें एक अलग ही आनंद की अनुभूति कराती हैं |

🌗 कैक्टस गार्डन सैलाना-
दोस्तों मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में भारी मात्रा में कैक्टस का उत्पादन किया जाता है | दोस्तों जहां पर इन कैक्टस के पेड़ों को विकसित किया जा रहा है उसे जसवंत निवास पैलेस के नाम से भी जाना जाता है | यहां पर आपको एक विशेष ही प्रकार के पौधे देखने को मिलती हैं सबसे खास बात यह है कि यहां पर 12 सौ प्रकार के अलग-अलग प्रजातियों के पौधे पाए जाते हैं |
दोस्तों वैसे तो यहां पर घूमने के लिए कोई विशेष स्थान नहीं है परंतु पौधों की प्रजातियों इतनी आदत है कि अक्सर लोग उनको देखने के लिए आ ही जाते हैं |
🌗 बिबड़ौर्द तीर्थ स्थल-
जैन धर्म के लिए समर्पित यह तीर्थ स्थल प्रमुख रूप से यहां का जैन तीर्थ स्थल है इस मंदिर में आपको लगभग ढाई फीट ऊंची भगवान आदिनाथ की मूर्ति देखने को मिलती है | यह मंदिर काफी और एक ऐतिहासिक मंदिर है इसके बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर के में शताब्दी जी यहां पर मौजूद है | इसे तीर्थ स्थल के निकट वायुयान सेवा के लिए केवल इंदौर का महारानी देवी अहिल्याबाई एयरपोर्ट है|
🌗 खरमौर पक्षी-
रतलाम जिले के अंतर्गत खरमौर पक्षी का संरक्षण किया जा रहा है इस प्रकार की प्रजाति के पक्षी लगभग 13 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले हुए हैं | रतलाम जिले के अंतर्गत एक छोटा सा गांव आता है जिसे सैलाना गांव के नाम से जाना जाता है इसी गांव की एक बड़े भूभाग के क्षेत्रफल में इस पक्षी का संरक्षण किया जा रहा है | वर्तमान में इस प्रजाति के पक्षी के लुप्त होने की आशंका थी जिस कारण से इसके संरक्षण पर विशेष जोर दिया जा रहा है |

🌗 कालिका माता मंदिर-
माता शक्ति की प्रसिद्ध खंडपीठ जिसे कालिका माता के रूप में जाना जाता है यह मंदिर रतलाम जिले के नगर में स्थित है | यह मंदिर यहां का एक धार्मिक मंदिर है बहुत ही चर्चित और प्रसिद्ध देवी है | इस मंदिर में सबसे ज्यादा आनंद तब आता है जब नवरात्रि का समय आता है क्योंकि यहां पर नवरात्रि के समय पर मां दुर्गा के उपलक्ष में गरबा नृत्य का आयोजन किया जाता है | मां कालिका के दरबार में गरबा नृत्य में शामिल होने वाले यहां के स्थानीय निवासी लोग होते हैं | स्थानीय निवासियों के लोगों के अलावा यहां पर दूर-दूर से लोग भी गरबा नृत्य करने के लिए आते हैं | माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग तरह-तरह की आयोजन करते हैं जिन से जो कुछ भी यहां पर श्रद्धा पूर्वक चढ़ावा चढ़ाने के लिए प्राप्त होता है वह माता के दरबार में करते हैं |
माता कालिका का नवरात्रि के समय में श्रंगार किया जाता है उनको बहुत ही बारीकी से सजाया जाता है | माता की सजावट में प्रमुख रूप से सुंदर साड़ी और सुंदर त्रिशूल के साथ-साथ उनका पूरा श्रंगार किया जाता है | उनको बहुत ही सुंदर श्रंगार के साथ -साथ उनकी प्रत्येक सजावट का ख्याल रखा जाता है | पंडा के द्वारा चमत्कारी भभूत दी जाती है |
🌗 कीर्ति सेलिलाना –
रतलाम जिले के अंतर्गत यही एक बहुत ही ऊंची मीनार की तरह दिखने वाली ऐतिहासिक इमारत है | इस इमारत का निर्माण 1859 से 1919 के बीच राजा नरेश वंतसिंह जी के द्वारा करवाया गया था |
यह इमारत काफी पुरानी और ऐतिहासिक इमारत तो है ही लेकिन इस इमारत का निर्माण चूना पत्थरों के द्वारा किया गया है कहीं-कहीं पर ईटों का भी प्रयोग किया गया है | इस इमारत को देखने के लिए आप किसी भी समय आ सकते हैं रतलाम जिले से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर यह इमारत स्थित है पास में ही एक घना जंगल है |
इस इमारत को देखने के लिए रतलाम जिले के पर्यटक स्थलों का भ्रमण करने वाले लोग यहां जरूर आते हैं | आप यहां पर अपने पर्सनल वाहन के माध्यम से इस पर्यटक स्थल को घूमने के लिए आ सकते हैं | आज से कई साल पहले यहां पर आने जाने का रास्ता सही नहीं था जिस कारण से यहां पर घूमने के लिए लोग बहुत कम आया करते थे |परंतु वर्तमान समय में यहां पर हजारों लोग इसे देखने के लिए आते हैं क्योंकि रास्ता एकदम क्लियर है और आने जाने में कोई परेशानी नहीं होती |
🌗 माही भाषी सागर तालाब-
माही भाषी सागर तालाब यहां का एक ऐसा पर्यटक स्थल है जहां पर जाने के बाद आप एक ऐसी प्रकृति नजर आएगी जिसे देखने के बाद आप एकदम आश्चर्यचकित रह जाएंगे | यह तालाब एक बांध के रूप में निर्मित किया गया है इसे तालाब इसीलिए बोला जाता है क्योंकि यह ना तो छोटा सा तालाब है और ना ही बहुत बड़ा भवन फिर भी इसे नाही बांध बोला जाता है ना ही एक छोटे से तालाब की संज्ञा दी जाती है किसी प्रमुख रूप से माही भाषी सागर तालाब बोला जाता है | सागर से तात्पर्य होता है कि इसकी जल धारण क्षमता बहुत ही ज्यादा होती है |
इस तालाब में आपको बहुत ही सुंदर सुंदर टापू देखने को मिलते हैं सागर के अंदर जाने के बाद आप किसी भी टापू पर रखते हैं वहां पर रुकने की पूरी व्यवस्था होती है | सागर तालाब के अंदर पर्यटक स्थल की समस्त जानकारी आपको काउंटर वाले गेट पर ही प्राप्त हो जाती है | सागर तालाब को घूमते समय आपको बहुत सारी सावधानियों को ध्यान में रखना होता है जिनको वहां के कार्यरत कर्मचारियों के द्वारा सूचित कर दिया जाता है | यहां पर यह बांध प्रमुख रूप से अपनी हरियाली के लिए पहचाना जाता है क्योंकि यहां पर भारी मात्रा में आपको हरा-भरा और हरियाली दिखाई देती है | बरसात के मौसम में तो यहां पर इतना प्यारा लगता है कि आप यदि बरसात के समय यहां पर आते हैं जो आपको जाने का बिल्कुल ही मन नहीं करेगा क्योंकि बरसात के समय जब पानी कुछ देर के लिए ठहर जाता है अर्थात पानी नहीं बरसता है तब यहां पर सुंदर-सुंदर बादल दिखाई देते हैं |
बरसात के समय में यह बांध काफी ज्यादा मात्रा में भर जाता है इसके पानी की लहरों को ध्यान में रखते हुए बांध के गेट को खोल दिया जाता है ताकि बांध पर किसी भी प्रकार का दबाव ना पड़े | यहां पर आप अपने पूरे परिवार के साथ पिकनिक टूर के लिए भी आ सकते हैं और अच्छा समय भी बिता सकते हैं |
🌗 गढ़ खंखाई माताजी-
रतलाम जिले के अंतर्गत बहने वाली एक छोटी सी नदी धामनी के किनारे यह मंदिर स्थापित है यही एक धार्मिक मंदिर है काफी पुराना और सुंदर भी है | नदी के किनारे मंदिर स्थापित होने के कारण यहां पर पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन चुका है लोग अक्सर इस मंदिर को देखने के लिए इस बहाने जरूर आ जाते हैं कि साथ में नदी का सुंदर दृश्य भी देख लिया जाएगा |
इस मंदिर के पास में ही एक छोटी सी ‘नदी माही’ पाई जाती है जिसका दृश्य जी बहुत ही सुंदर और आकर्षक है नदी के किनारे हरे भरे पेड़ और बहता हुआ पत्थरों के साथ पानी नदी की सुंदरता को कई गुना बढ़ा देता है | भोर के समय कल- कल की आवाज से बहता हुआ पानी यहां के लोगों के लिए बहुत ही खुशी की बात है क्योंकि इस नदियों के द्वारा लोग अपनी जलापूर्ति की सभी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं |
रतलाम शहर के अंतर्गत आने वाले यह मंदिर बहुत ही शानदार मंदिर है किसी देखने के लिए स्थानीय निवासी प्रतिदिन माता के दर्शन करने के लिए आते हैं | मंदिर में माता के अलावा यहां पर भगवान श्री गणेश और उनकी प्रिय भाई कार्तिकेय की मूर्ति को भी प्रमुख रूप से देखा जा सकता है |
🌗 अष्टपद जैन मंदिर-
रतलाम जिले के अंतर्गत आने वाला अष्टपद जैन मंदिर यहां की प्रमुख निवासियों के लिए बहुत ही खुशी की बात है क्योंकि यहां के स्थानीय निवासी लोग जो जैन समुदाय से जुड़े होते हैं उनके सभी धार्मिक कार्य इसी मंदिर के स्थल पर होते हैं | जैन धर्म से जुड़े हुए श्वेतांबर और दिगंबर यहां के प्रमुख पंथ माने जाते हैं |
यह मंदिर काफी खूबसूरत और आकर्षक मंदिर है ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है जिस कारण से इसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जाती है | मंदिर को देखने के लिए आप यहां पर अपने पर्सनल वाहन के माध्यम से आ सकते हैं और यदि चाहे तो अन्य किसी वाहन से भी इस मंदिर के दर्शन कर सकते हैं |
🌗 श्री केदारेश्वर महादेव मंदिर-
रतलाम जिले के अंतर्गत भगवान शिव के लिए समर्पित यह मंदिर यहां की आस्था का केंद्र है | आप यहां पर किसी भी दिन भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आ सकते हैं | यह मंदिर एक घने जंगलों में बना हुआ है मंदिर के पास में ही आपको एक झरना मिलता है| मंदिर के पास में स्थिति यह झरना लोगों को आकर्षित करता है क्योंकि झरना काफी ऊपर से गिरता है और पत्थरों से गिरता हुआ पानी यहां पर बहुत सुंदर लगता है | घने जंगलों मंदिर स्थित होने के बावजूद भी यहां पर भगवान शिव के भक्तों की हजारों की संख्या में प्रतिदिन भीड़ लगी रहती है |
मंदिर में आपको भगवान शिव की बहुत ही सुंदर शिवलिंग देखने को मिलती है महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर भगवान शिव को बेलपत्र और जल चढ़ाने के लिए लोग यहां पर आते हैं | भगवान शिव के अलावा यहां पर आप माता पार्वती की प्रतिमा को भी प्रमुख रूप से देख सकते हैं | मंदिर की दूसरी तरफ भगवान श्री गणेश की बहुत ही सुंदर प्रतिमा विराजमान है जहां पर आपको उनकी मूर्ति की कलाकृति और रचना देखकर बहुत ही आश्चर्यता होगी | भगवान श्री गणेश की बनी हुई पत्थर की मूर्ति बहुत ही सुंदर और आकर्षक मूर्ति है |
मंदिर में भगवान शिव से पहले यहां पर उनके प्रिय भक्त महाराज नंदी की पत्थर की बहुत ही सुंदर प्रतिमा देखने को मिलती है | भगवान शिव के दर्शन करने के बाद महाराज नंदी के कान में अपनी अर्जी को बोल ना कोई कभी नहीं भूलता |
🌗 ढोलवाड़-
दोस्तों रतलाम जिले से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा सा बांध बना हुआ है जिसे ढोलवाड़ के नाम से जाना जाता है| इसे यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह बांध ढोलवाड़ गांव के अंतर्गत आता है | यहां पर आपको बहुत ही सुंदर झरना के रूप में गिरता हुआ पानी दिखाई देगा और यहां की सुंदरता तो बड़ी ही निराली है आप यहां पर आते हैं तो आपको बहुत ही शांति महसूस होगी | दोस्तों ऐसा कहा जाता है कि यदि आपको प्रकृति की सुंदरता देखनी है तो आपको घने जंगलों के बीच और पर्वतों के बीच जाना होगा |
रतलाम जिले के अंतर्गत आने वाला यह पर्यटक स्थल भी प्रकृति के लिए जाना जाता है क्योंकि जंगल के बीच में बीच बहती हुई नदी को एक पल के माध्यम से रोका गया है जिसमें फाटक भी लगे हुए हैं | फाटक खोल जाने के बाद गिरता हुआ पानी एकदम झरने की तरह दिखाई देता है | बांध के चारों तरफ घना जंगल दिखाई देता है और साथ में बहुत ही सुंदर जीव जंतु यहां पर पाए जाते हैं | इस जंगल में पाए जाने वाली जितने भी जीव जंतु हैं उन सभी की जल की आवश्यकता की पूर्ति इसी बांध के माध्यम से होती है |
🌗 बाहरी बाग-
दोस्तो लगभग 200 साल पुराना यह बाग रतलाम जिले की सुंदरता को आज भी समेटे हुए है | यहां पर बहुत ही सुंदर -सुंदर पेड़ पौधे पाए जाते हैं और कई प्रकार की आपको पशु पक्षी देखने को मिलते हैं | गार्डन के अंदर आपको एक आर्टिफिशियल फव्वारा दिखाई देगा और यहां पर बच्चों के लिए तरह तरह के खेल खिलौने बनाए गए |
🌗 मध्य प्रदेश का लोटस टेंपल-
मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के अंतर्गत आपको दिल्ली की तर्ज पर एक लोटस टेंपल दिखाई देता है जो कि यहां का प्रमुख पर्यटक स्थल है | दिल्ली के जैसा विशाल तो नहीं है परंतु यहां पर इस टेंपल को आप देखेंगे ठीक बिल्कुल उसी की तरह दिखता है जैसे दिल्ली में दिखाई देता है | टेंपल के अंदर जाने के बाद बहुत ही सुंदर लगता है और मन को एक अलग ही शांति महसूस होती है क्योंकि वहां पर किसी भी प्रकार का शोर -शराबा नहीं होता है |

🌗 अल्कोहल एंड कार्बन डाइऑक्साइड प्लांट-
रतलाम जिले के अंतर्गत अल्कोहल एंड कार्बन डाइऑक्साइड का प्लांट लगाया गया है जो कि यहां का प्रमुख उद्योग है |
🌗 सटोरियों का शहर –
मध्यप्रदेश के रतलाम एकमात्र ऐसा जिला है जहां पर आप को इस तरह के लेने वाले लोग सर्वाधिक मात्रा में मिलेंगे | सट्टा का अर्थ होता है कि एक ऐसा जुआ जो बहुत बड़ी रकम के साथ खेला जाता है| रतलाम जिले के अंतर्गत आपको सर्वाधिक गांव ऐसे मिलेंगे जहां पर बहुत बड़ी मात्रा में जुआ खेला जाता है जिस कारण से रतलाम जिले को सटोरियों का शहर का दर्जा दिया गया है |
✔️ मध्य प्रदेश की रत्न नगरी कौन है |
मध्यप्रदेश के रतलाम जिले को रत्न नगरी के नाम से जाना जाता है |
रतलाम जिले को रत्ना नगरी इसलिए बोला जाता है क्योंकि यहां पर तरह-तरह के आभूषणों का निर्माण किया जाता है |
रतलाम जिले के प्रमुख पर्यटन History GK Tourism FAQ’s
✔️ रतलाम शहर की स्थापना किसने की?
आधुनिक रतलाम शहर की स्थापना अंग्रेज अधिकारी कैप्टन बार्थविक द्वारा की गई थी |
✔️ प्राचीन काल में रतलाम शहर के राजा कौन हुआ करते थे?
प्राचीन काल में रतलाम शहर की प्रसिद्ध राजपूत राजा हुआ करते थे जिनका नाम रतन सिंह था |
✔️ मध्य प्रदेश का कौन सा जिला नमकीन और साड़ी के लिए प्रसिद्ध है?
मध्य प्रदेश का रतलाम जिला नमकीन और साड़ी उद्योग के लिए जाना जाता है |
✔️ मध्य प्रदेश के किस जिले को सटोरियों का शहर कहा जाता है?
मध्यप्रदेश के रतलाम शहर को सटोरियों का शहर कहा जाता है|
✔️ मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा अंगूर का उत्पादन किस जिले में होता है?
मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में सबसे ज्यादा मात्रा में अंगूर का उत्पादन होता है | रतलाम जिले में इतनी ज्यादा मात्रा में अंगूर का उत्पादन होता है कि मध्य प्रदेश में सबसे प्रथम स्थान पर आता है |
✔️ सैलाना पक्षी फ्लोरी कल अभ्यारण कहां है?
रतलाम जिले के अंतर्गत प्रदेश का प्रसिद्ध है सैलाना पक्षी फ्लोरी कल अभ्यारण स्थित है |
✔️ खरमौर पक्षी का संरक्षण किस जिले में होता है?
खरमौर पक्षी का संरक्षण मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के अंतर्गत आने वाले सैलाना पक्षी फ्लोरी कल अभ्यारण में होता है | मध्य प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है जहां पर खरमौर पक्षी पाया जाता है |
✔️ मध्य प्रदेश का लोटस टेंपल कहां पर है?
दिल्ली की तर्ज पर बनाया गया लोटस टेंपल मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में स्थित है |
✔️ विरुपाक्ष महादेव मंदिर कहां पर है?
विरुपाक्ष महादेव मंदिर मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में है |
✔️ मध्य प्रदेश का अंगूर अनुसंधान केंद्र कहां है?
मध्य प्रदेश का अंगूर अनुसंधान केंद्र रतलाम जिले में है |

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