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Ujjain History GK Tourism in hindi mp gk ujjain district

उज्जैन के प्रमुख पर्यटक स्थल-

हेलो दोस्तों! आज हम बात करने वाले हैं मध्य प्रदेश के उज्जैन जिला के बारे में जो कि प्राचीन समय में एक रियासत हुआ करती थी| प्राचीन काल में 16 महाजनपद थे जिनमें से उज्जैन भी एक महाजनपद की श्रेणी में आता था| प्राचीन काल में उज्जैन महाजनपद में बहुत अधिक मात्रा में जनसंख्या निवास करती थी और एक बहुत बड़ा क्षेत्र हुआ करता था| उज्जैन जिला प्राचीन काल से ही गणितज्ञों ,महात्माओं ,बुद्धिजीवियों का नगर रहा है | महान राजा विक्रमादित्य का संबंध भी उज्जैन जिले से ही है और महाकवि कालिदास राजा विक्रमादित्य की कभी हुआ करते थे | दोस्तों आज हम उज्जैन जिले के प्रमुख पर्यटक स्थलों के साथ-साथ यहां की सभी धार्मिक स्थलों की विस्तृत जानकारी देंगे|

उज्जैन जिले के सभी मंदिरों में केवल महाकालेश्वर मंदिर एक ऐसा मंदिर है जिसकी ख्याति प्रदेश के बाहर देश विदेश में भी फैली हुई है|

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उज्जैन का पुराना नामउज्जयिनी मूल नाम अन्य नाम अवंतिका
नदीक्षिप्रा
मेलासिंहस्थ महाकुंभ 12 वर्ष में एक बार
मालवा की गंगाक्षिप्रा
महाकालेश्वरभगवान शिव की महान ज्योतिर्लिंग
प्राचीन आश्रमसंदीपनी आश्रम( भगवान श्री कृष्ण , सुदामा तथा बलराम जी को शिक्षा यहीं से प्राप्त हुई थी ) | 
अनुसंधान केंद्रएशिया का सबसे बड़ा सोयाबीन संयंत्र/ सोयाबीन अनुसंधान केंद्र
सर्वाधिक जनसंख्याअनुसूचित जाति
विश्वविद्यालयविक्रम विश्वविद्यालय
कारखानाशक्कर कारखाना महिदपुर
अकादमीकालिदास अकादमी
कालियादेह महलनसीर उद्दीन खिलजी द्वारा निर्मित
प्रसिद्ध सौर वेधशालाजयपुर के राजा जयसिंह द्वारा निर्मित
काल भैरव मंदिरराजा भद्रसेन ने इसका निर्माण करवाया था
जैन संग्रहालयजौहिसपुरा
बड़े गणेश मंदिर का निर्माणपंडित नारायण दास द्वारा
गोपाल मंदिरप्रसिद्ध चांदी का दरवाजा
मेघदूतम्महाकवि कालिदास की प्रसिद्ध रचना

महाकाल की नगरी–

दोस्तों !मध्यप्रदेश में उज्जैन जिले को” महाकाल की नगरी” के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यहां पर प्राचीन काल पर ही भगवान शिव की पूजा होती जा रही है | महाकाल की नगरी के रूप में जाना जाने वाला उज्जैन मध्य प्रदेश का एक धार्मिक केंद्र है यहां पर भगवान शिव की विशाल शिवलिंग देखने को मिलती है | यह विशाल शिवलिंग काफी पुरानी शिवलिंग है कहा जाता है कि हजारों वर्ष पहले से यह मंदिर अपने अस्तित्व में हैं | शुरुआत में यह मंदिर ज्यादा बड़ा नहीं था परंतु धीरे-धीरे साल गुजरते गए और समय-समय पर कई राजाओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया|

महाकाल के मंदिर के अलावा यहां पर आपको भगवान शिव के अन्य मंदिर भी देखने को मिलते हैं उन मंदिरों में भगवान शिव के शिवलिंग मौजूद है | भगवान शिव के इन मंदिरों में शिवलिंग के अलावा माता पार्वती ,भगवान श्री गणेश और उनके प्रिय भाई कार्तिकेय की मूर्तियां भी देखने को मिलती हैं |

उज्जैन के प्रमुख पर्यटन Ujjain History GK Tourism

उज्जैन जिले के महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल और धार्मिक स्थल-

🔲 गढ़ कालिका देवी मंदिर-

दोस्तों उज्जैन जिले का यह एक धार्मिक मंदिर है और इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर की महाकवि कालिदास के द्वारा अपने पूरे जीवनकाल के दौरान सेवा की गई है | किसी मंदिर की सेवा करने के बाद महाकवि कालिदास का नाम ही कालिदास पड़ा था |

गढ़ कालिका देवी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर विराजमान देवी की महाकवि कालिदास के ऊपर बड़ी कृपा थी और उनका आशीर्वाद भी कालिदास जी को मिला था |

गढ़ कालिका देवी मंदिर महाभारत कालीन मंदिर है कहा जाता है कि इसका जीर्णोद्धार महान राजा हर्षवर्धन के द्वारा करवाया गया था|

गढ़ कालिका देवी माता शक्ति की ही एक खंडपीठ है जो उज्जैन का एक धार्मिक स्थल है | नवरात्रि के समय पर यहां पर माता कालका के रूप में लोग कई प्रकार के आयोजन करते हैं और उनकी कथाओं को दोहराते हैं | गढ़कालिका की कई कथाएं भगवान शिव से जुड़े हुए हैं और यह जानकारी हिंदू धार्मिक ग्रंथों से प्राप्त होती है | गढ़ कालिका देवी के बारे में कहा जाता है कि यहां पर संतान प्राप्ति के लिए लोग माता के दरबार में अपनी अर्जी लगाते हैं | गढ़ कालिका देवी की कृपा से लोग संतान की प्राप्ति भी करते हैं |

🔲 महाकालेश्वर मंदिर-

भगवान शिव के लिए समर्पित यह एक धार्मिक मंदिर है इस मंदिर के बारे में कई कथाएं सुनने को मिलती हैं | कई ग्रंथों में बताया जाता है कि इस मंदिर को लगभग प्राचीन काल से ही 7 बार तोड़ा गया है और इसका पुनः निर्माण भी 7 बार हुआ है |

महाकालेश्वर मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है जो कि भगवान शिव की एक महान ज्योतिर्लिंग के लिए जाना जाता है | भगवान शिव की 12 ज्योतिर्लिंगों में से 1 ज्योतिर्लिंग उज्जैन जिले के महाकालेश्वर में स्थापित है | दोस्तों धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में कहा जाता है कि प्रति 12 वर्ष के बाद यहां पर एक कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है | प्रति 12 वर्ष के बाद भगवान शिव के दर्शन करने के लिए उज्जैन में लाखों लोग इकट्ठे होते हैं|

महाकालेश्वर मंदिर- Ujjain

महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े हुए कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-

☑️ इस मंदिर को कई कई बार प्राचीन काल में हुए आक्रमणों के द्वारा तोड़ने की कोशिश की गई है |

☑️ कई इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर को लगभग 7 बार तोड़ा गया है और 7 बार ही इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है|

☑️ कई धार्मिक पुराणों और ग्रंथों में बताया जाता है कि प्रति 12 वर्ष के अंतराल में भगवान सूर्य की पहली किरण यहां पर महाकुंभ के अवसर पर भगवान शिव को ही अर्पित होती है |

☑️ महाकालेश्वर मूर्ति को दक्षिण मुखी मूर्ति भी माना जाता है क्योंकि यह मूर्ति दक्षिण की ओर स्थापित है |

☑️ महाकालेश्वर मंदिर में लक्षण की ओर भगवान शिव के अनन्य भक्त नंदी की मूर्ति भी स्थापित है |

☑️ भगवान शिव के अलावा यहां पर भगवान श्री गणेश और उनके भाई कार्तिकेय के साथ माता पार्वती की प्रतिमा को भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है | इनकी मूर्तियां बहुत सुंदर और आकर्षक हैं |

☑️ महाकालेश्वर मंदिर के पास नाग चंद्रशेखर की मूर्ति भी स्थापित है|

☑️ महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर प्रतिवर्ष यहां पर भगवान शिव को बेलपत्र और जल चढ़ाने के लिए लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है |

☑️ उज्जैन के बारे में कई धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में बताया जाता है कि यह नगर ऋषि और तपस्वियों का नगर रहा है |

☑️ महाकालेश्वर मंदिर क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है | नदी के किनारे स्थित होने के कारण यहां पर बहुत सुंदर लगता है|

मध्यप्रदेश का यह एकमात्र मंदिर है जो कि कर्क रेखा पर स्थित है |
भारत में अन्य ज्योतिर्लिंगों में से यहां पर एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो कि दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है|

🔲 कालियादेह महल- Ujjain

उज्जैन जिले में स्थित कालियादेह महल का निर्माण नसीर उद्दीन खिलजी के द्वारा करवाया गया है | इस महल के बारे में कहा जाता है कि नसीर उद्दीन खिलजी ने यहां पर स्थित सूर्य मंदिर को तोड़कर इस महल का निर्माण किया था | यह मंदिर काफी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है इस मंदिर का निर्माण क्षिप्रा नदी के किनारे किया गया है | इस मंदिर के पास में ही एक सूर्य मंदिर स्थापित है जोकि बहुत विशाल और आकर्षक मंदिर है |

कालियादेह महल- Ujjain

🔲 वेधशाला-

खगोल विज्ञान के लिए प्रसिद्ध वेधशाला मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में प्राचीन काल से ही स्थापित है वेधशाला के माध्यम से सूर्य भगवान की होने वाली क्रियाओं और खगोल विज्ञान की बहुत ही जानकारी मिलती है |

सूर्य सिद्धांत और पंच सिद्धांत की बहुत महत्वपूर्ण जानकारी उज्जैन की प्रसिद्ध वेधशाला के माध्यम से ही प्राप्त होती थी | उज्जैन की प्रसिद्ध वेधशाला का निर्माण 1719 में जयपुर के राजा सवाई राजा जयसिंह ने करवाया था | सवाई राजा जयसिंह 1719 के समय में मालवा क्षेत्र के राज्यपाल हुआ करते थे जब दिल्ली में मोहम्मद शाह का शासन हुआ करता था | सवाई राजा जयसिंह अपने समय में बहुत विद्वान थे क्योंकि उन्होंने अरबी और फारसी भाषाओं के साथ-साथ एस्टर गणित का भी अध्ययन किया था |

भारत में प्रकाशित होने वाले पंचांग सन 1942 के मध्य प्रदेश के उज्जैन वेधशाला के ही निर्मित होते हैं | यह तो वेधशाला के माध्यम से प्रति वर्ष होने वाले सबसे छोटे दोनों सबसे बड़े दिन का आकलन इसीलिए वेधशाला से किया जाता है |

वर्ष 1974 में यहां पर एक दिगंत यंत्र का निर्माण किया गया जोकि खगोल शास्त्र के लिए विशेष उपयुक्त था | धीरे-धीरे इस वेधशाला का विकास हुआ और सन 1982 में यहां पर फिर से एक यंत्र का निर्माण किया गया और जिसे शंकु यंत्र का नाम दिया गया क्योंकि यह यंत्र शंकु के आकार का था |

वेधशाला के बाहर सुंदर संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया और इन पत्थरों पर वेधशाला की महत्वपूर्ण जानकारी को अंकित किया गया | इन पत्रों का इस्तेमाल इसलिए किया गया ताकि यहां पर जानकारी को देखकर लोगों को इस वेधशाला के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके | संगमरमर के द्वारा यहां पर बनाए गए नोटिस बोर्ड पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में जानकारी दी जाती थी |

2003 के समय में वेधशाला को पुनः निर्मित किया गया और वेधशाला में जो भी कमी थी उसे पूरा करने की कोशिश की गई | यहां पर उपयोग में लाई जाने वाली ऊर्जा की उपयुक्त व्यवस्था की गई और इसकी सुंदरता बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए गए | प्रतिवर्ष इस वेधशाला को देखने के लिए लाखों लोग उज्जैन में एकत्रित होते हैं | उज्जैन जिले का यह एक प्रमुख पर्यटक स्थल है जहां पर बहुत ही प्राचीन समय की जानकारी को आप बखूबी देख सकते हैं |

🔲 मंगलनाथ मंदिर-

उज्जैन जिले का मंगलनाथ मंदिर एक धार्मिक मंदिर है इस मंदिर का पुनः निर्माण किया गया है | मंगलनाथ मंदिर का पुनः निर्माण सिंधिया राजा के द्वारा करवाया गया था | मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले को मंगल नगरी यहां पर स्थित मंगलनाथ मंदिर के कारण ही कहा जाता है | कई कथाओं में बताया जाता है कि जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह भारी होता है तो इस समस्या को दूर करने के लिए लोग इस मंदिर में भोजन करवाने के लिए आते हैं |

मंगलनाथ मंदिर में लोग ज्यादातर मंगल ग्रह को उतारने के लिए जाते हैं कहा जाता है कि इस मंदिर में जिसका मंगल भारी होता है उसके लिए यहां पर लोग पूजा करने के लिए आते हैं ताकि ग्रह दोष समाप्त हो सके |

🔲 काल भैरव मंदिर-

उज्जैन जिले में उसका काल भैरव मंदिर का निर्माण राजा भद्रसेन के द्वारा करवाया गया है यहां का यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है|
दोस्तों कई ग्रंथों में बताया जाता है कि प्रमुख रूप से 8 भैरवो की पूजा की जाती थी उनमें से एक प्रमुख थे काल भैरव | प्राचीन काल की साइवती टी परंपरा के अनुसार भगवान काल भैरव की पूजा की जाती थी |

दोस्तों प्रचलित ग्रंथ स्कंद पुराण में हम कई कथाओं को सुनते हैं उनमें से एक कथा काल भैरव की सुनने को मिलती है | इस कथा में हमें बताया जाता है कि अघोरा संप्रदाय और कपालिका संप्रदाय के द्वारा काल भैरव की प्रमुख रूप से यहां पर पूजा की जाती थी | कपाल का संप्रदाय और अघोरा संप्रदाय उज्जैन जिले के प्रमुख संप्रदाय थे| काल भैरव के बारे में कहा जाता है कि किसी भी अनुष्ठान के समय काल भैरव की पूजा में उनको आज भी शराब उनके लिए उपलब्ध की जाती है और पूजा की जाती है | हालांकि कहा जाता है कि शराब का केवल पूजा के लिए प्रयोग किया जाता है |

दोस्तों यदि कोई व्यक्ति उज्जैन के मंदिरों के बारे में दर्शनों की सोचता है तो एक बार काल भैरव के मंदिर के बारे में जरूर सोचता है क्योंकि कहा गया है कि काल भैरव के दर्शन करने के बाद आपकी यात्रा को संपूर्ण माना जाता है |

🔲 गोपाल मंदिर-

उज्जैन जिले का गोपाल मंदिर यहां का सबसे बड़ा दूसरा मंदिर है| इस मंदिर का निर्माण सिंधिया राजा दौलतराव सिंधिया जी की पत्नी बायजा बाई जी के द्वारा करवाया गया था | इस किले का निर्माण 19वीं शताब्दी के अंतर्गत किया गया था |

उज्जैन जिले में यह मंदिर यहां पर बनाया गया प्रसिद्ध चांदी का दरवाजा अत्यंत लोकप्रिय और सुंदर दरवाजा है | चांदी के दरवाजे के कारण ही यह मंदिर देश प्रदेश में प्रसिद्ध है |

दोस्तों यह मंदिर मराठा वास्तुकला के लिए जाना जाता है मंदिर में निर्मित गर्भ ग्रह संगमरमर के सुंदर पत्थरों के द्वारा सजाया गया है | इस मंदिर के ज्यादातर दरवाजे चांदी के द्वारा मड़े हुए हैं जिस कारण से यह बहुत ही सुंदर लगते हैं | इस मंदिर की सुंदरता के कारण उज्जैन की अन्य मंदिर भी लोग इस मंदिर के साथ- साथ देख लेते हैं|
इस मंदिर की कलाकृति और नक्काशी बहुत ही विचित्र तरीके से की गई है इस मंदिर के दरवाजे बहुत ही चमकदार है और दरवाजे में कई सुंदर-सुंदर आकृतियां अंकित की गई है |

🔲 बड़ा गणेश मंदिर-

उज्जैन जिले में भगवान गणेश को समर्पित बड़ा गणेश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध मंदिर यहां का एक धार्मिक मंदिर है इस मंदिर का निर्माण पंडित नारायण दास जी के द्वारा करवाया गया था | श्री गणपति मंदिर के पास में ही पंचमुखी हनुमान मंदिर भी स्थित है |

भगवान गणपति के अलावा यहां पर आपको भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां देखने को मिलेंगी | गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर यहां पर हजारों की तादाद में भीड़ उमड़ती है क्योंकि यहां पर श्री गणेश के पावन त्यौहार पर लोग कई प्रकार के आयोजन करते हैं और तरह-तरह की रैली भी निकालते हैं |

▶️ वर्तमान समय में उज्जैन के अंतर्गत हमें जितने मंदिर दिखाई देते हैं उनमें सभी मंदिर सिंधिया राजा के मंत्री रामचंद्र शेरणी के द्वारा बनवाए गए हैं |

▶️ उज्जैन जिला मध्य प्रदेश के चार हेरिटेज नगरों मैसेज एक माना जाता है उज्जैन के अलावा मध्यप्रदेश में भोपाल, इंदौर व जबलपुर जिले आते हैं |

▶️ ऐसा माना जाता है कि प्रसिद्ध विद्वान ब्रह्म गुप्ता जी के द्वारा शून्य की खोज व प्रयोग मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में ही की गई थी|

▶️ महान संस्कृत विद्वान रुद्रदामन जी के द्वारा उज्जैन को प्राचीन समय में राजधानी बनाया गया था रुद्रदामन शक वंश के राजा हुआ करते थे |

▶️ मौर्य काल की समय राजा बिंदुसार के पुत्र अशोक उज्जैन का ही राज्यपाल हुआ करते थे जो आगे जाकर प्रसिद्ध राजा सम्राट अशोक के नाम से मशहूर हुए|

▶️ उज्जैन गुप्त वंश के प्रसिद्ध शासक चंद्रगुप्त विक्रमादित्य की राजधानी भी काफी समय तक रहा |

उज्जैन जिले की कुछ महत्वपूर्ण बातें-

↪️ महाकवि कालिदास का कालिदास नाम उज्जैन जिले में प्रसिद्ध गढ़कालिका मंदिर की सेवा करने के कारण पड़ा था | बहुत समय बीतने के बाद उज्जैन में प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य हुए और इन्होंने यहां पर कालिदास को अपना दरबारी कवि बना लिया |

↪️ जंतर मंतर वेधशाला के माध्यम से चंद्रमा सूर्य की गतियों का पता लगाया जा सकता है |

↪️ उज्जैन का प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर प्राचीन काल से अब तक लगभग 7 बार टूट चुका है और इसका पुनः निर्माण भी लगभग 7 बार हो चुका है |

↪️ उज्जैन जिले के अंतर्गत 7 तहसीले और 7 विधानसभा क्षेत्र आते हैं |

↪️ उज्जैन जिले के अंतर्गत जौहिसपुरा में जैन संप्रदाय की मंदिर भी देखने को मिलते हैं जो कि यहां के प्रसिद्ध मंदिर हैं |

↪️ उज्जैन जिले में प्रतिवर्ष एक बार खुलने वाला मंदिर यहां का नागेश्वर मंदिर अथवा नवग्रह मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है |

↪️ मध्यप्रदेश का उज्जैन एकमात्र ऐसा शहर है जिसके बारे में हिंदू धार्मिक ग्रंथों में हमेशा सुनने को मिलता है | हिंदू धर्म का रामचरितमानस हो अथवा रामायण इसके अलावा भी अन्य ग्रंथों में उज्जैन जिले के बारे में कथाएं सुनने को मिलती हैं |

↪️ प्राचीन काल में उज्जैन 16 महाजनपदों में से ही एक जनपद था |

उज्जैन के प्रमुख पर्यटन Ujjain History GK Tourism FAQ’s

➤ उज्जैन संभाग की सीमा किस राज्य से लगती है?

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले की सीमा राजस्थान राज्य से लगती है|

➤ उज्जैन संभाग के अंतर्गत कौन- कौन से जिले आते हैं?
उज्जैन संभाग के अंतर्गत देवास ,रतलाम, उज्जैन ,मंदसौर ,नीमच ,शाजापुर ,आगर मालवा जिले आते हैं|

➤ उज्जैन का मूल नाम क्या था?
उज्जयिनी |

➤ उज्जैन का दूसरा नाम क्या है?

उज्जैन का दूसरा नाम अवंतिका है इसका यह नाम प्राचीन काल में प्रचलित था |

➤ मध्य प्रदेश के किस जिले को महाकवि कालिदास की जन्म भूमि कहा जाता है ?

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले को महाकवि कालिदास की जन्म भूमि के रूप में जाना जाता है |

➤ मंगल नगरी किस जिले को कहते हैं?

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले को मंगल नगरी के नाम से जाना जाता है|

➤ उज्जैन जिला किस नदी के तट पर बसा है?

उज्जैन जिला शिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ है|

➤ मध्यप्रदेश में कुंभ मेले का आयोजन कहां पर होता है?

मध्यप्रदेश में कुंभ मेले का आयोजन शिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ उज्जैन जिला में होता है | यहां पर यह मिला 12 साल के अंतराल में होता है |

➤ कुंभ मेले का आयोजन कहां- कहां पर होता है?

कुंभ मेले का आयोजन भारत में 4 स्थानों पर होता है हरिद्वार ,इलाहाबाद ,नासिक और उज्जैन |

➤ सिंहस्थ क्या है?

प्रति 12 वर्ष के दौरान हरिद्वार इलाहाबाद नासिक और उज्जैन के अंतर्गत होने वाले मेले के आयोजन को सिंहस्थ कहा जाता है |

➤ मध्यप्रदेश की गंगा किस नदी को कहा जाता है?

नर्मदा नदी को मध्यप्रदेश की गंगा कहा जाता है|

➤ मालवा की गंगा किस नदी को कहा जाता है?

क्षिप्रा नदी को मालवा की गंगा कहा जाता है |

➤ मध्य प्रदेश के किस जिले में गणित शोध संस्थान की स्थापना हो रही है?

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में गणित शोध संस्थान की स्थापना हो रही है |

➤ उच्च शिक्षा का सबसे प्राचीन केंद्र कौन सा था?

प्राचीन काल में उच्च शिक्षा का सबसे प्राचीन केंद्र संदीपनी आश्रम हुआ करता था जो कि मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में आता है |

➤ सोयाबीन अनुसंधान केंद्र कहां है?

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में सोयाबीन अनुसंधान केंद्र स्थापित है|

➤ एशिया का सबसे बड़ा सोयाबीन संयंत्र कहां पर है?

एशिया का सबसे बड़ा सोयाबीन संयंत्र उज्जैन जिले में स्थित है|

➤ मध्य प्रदेश के किस जिले में सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति वाली संख्या है ?

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में सर्वाधिक अनुसूचित जाति वाली जनसंख्या निवास करती है |

➤ मध्यप्रदेश में पाणिनि संस्कृत महाविद्यालय कहां पर है?

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में पानी संस्कृत महाविद्यालय स्थित है और इसके अलावा मध्य प्रदेश का प्रसिद्ध विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन जिले के अंतर्गत ही आता है |

➤ उज्जैन जिले में कौन -सा कारखाना है?

उज्जैन जिले में शक्कर कारखाना बहुत ही प्रसिद्ध और प्रचलित है यहां पर यह कारखाना’ महिदपुर ‘के अंतर्गत आता है |

➤ उज्जैन की सुंदरता किस ग्रंथ में सुनने को मिलती है?

महाकवि कालिदास के द्वारा लिखा गया प्रसिद्ध ग्रंथ मेघदूतम में उज्जैन की सुंदरता का बारीक पूर्ण वर्णन किया गया है |

➤ मध्य प्रदेश के किस जिले को मंदिर और मूर्तियों का नगर कहा जाता है?

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले को मंदिर और मूर्तियों का नगर कहा जाता है यहां पर प्राचीन मंदिर और उत्कृष्ट मूर्तियां देखने को मिलती हैं |

➤ मध्यप्रदेश में कालिदास समारोह कहां पर होता है?

मध्यप्रदेश में कालिदास समारोह उज्जैन जिले में होता है और यह समारोह कालिदास अकादमी के द्वारा प्रति वर्ष होता है |

➤ भारत का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग कहां पर स्थित है?

भारत का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित है |

➤ मध्यप्रदेश में कर्क रेखा पर स्थित कौन सा मंदिर है?

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित महाकालेश्वर मंदिर ठीक है कर्क रेखा पर स्थित है |

➤ मध्यप्रदेश में जंतर मंतर वेधशाला कहां पर स्थित है?

मध्यप्रदेश में जंतर मंतर के नाम से एक वेधशाला स्थित है जो की प्रसिद्ध नगर उज्जैन के अंतर्गत आती है |

प्राचीन समय में उज्जैन के जंतर मंतर के माध्यम से ही भारत के समय का निर्धारण किया जाता था |

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