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शहडोल जिले के पर्यटन Shahdol District Tourism GK History

शहडोल जिले के प्रमुख पर्यटक स्थल-

दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं मध्यप्रदेश के शहडोल संभाग के बारे में जिसके अंतर्गत बहुत ही प्राचीन और ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं| इन इमारतों को देखने के लिए यहां पर दूर-दूर से पर्यटक भ्रमण करने के लिए आते हैं | शहडोल संभाग के अंतर्गत कौन-कौन सी ऐतिहासिक इमारतें आती है जो राष्ट्रीय महत्व की है | इन सभी के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और साथ ही आपको बताएंगे कि इस जिले में कौन-कौन से राष्ट्रीय उद्यान पाए जाते हैं और इन राष्ट्रीय उद्यान में कौन-कौन से जानवर मौजूद हैं | दोस्तों आज हम शहडोल जिला के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे जिसमें जिले के इतिहास के साथ-साथ महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल और पर्यटक स्थल की जानकारी आपके सामने उजागर की जाएगी | दोस्तों शहडोल जिले का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है और ना ही इस जिले में ज्यादा पर्यटक स्थल हैं लेकिन जितने भी पर्यटक स्थल हैं सभी अपने-अपने महत्व के हैं |

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शहडोल जिले के कुछ महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल जिनकी अपनी अपनी विशेषता और अपनी अपनी ख्याति पूरे प्रदेश के साथ-साथ देश में फैली हुई है –

पर्यटक स्थलविराट मंदिर, बूढ़ी माता मंदिर, टैगोर गार्डन ,विराट धाम शहडोल 
बांधबाणसागर बांध,सरफा
लखवारिया गुफाआदिवासियों का निवास
शहडोल संभाग के जिलेशहडोल, अनूपपुर और उमरिया
तहसीलों की संख्या6
विधानसभा क्षेत्र3
मेलागोटमार मेला
खनिजयूरेनियम
कोयला खदानसोहागपुर
मध्य प्रदेश की पहली किन्नर विधायकशबनम मौसी शहडोल
विराटेश्वर का निर्माणकलचुरी वंश के राजा युवराज देव के द्वारा
परियोजनाबाणसागर परियोजना
शहडोल जिला का क्षेत्रविंध्यांचल पर्वत कैमूर पर्वत और सतपुड़ा पर्वत का कुछ हिस्सा

✭ शहडोल जिले का विराट मंदिर-

दोस्तों 10वीं शताब्दी में निर्मित हुआ यह मंदिर यहां का प्रमुख मंदिर है जोकि बहुत पुराना है इसे देखने के लिए प्रतिवर्ष हजारों लोग दूर-दूर से आते हैं | दोस्तों शहडोल जिले के अंतर्गत आने वाला यह विराट मंदिर तीनों लोगों के स्वामी भगवान भोलेनाथ के लिए समर्पित है |

विराट मंदिर से जुड़े हुए कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-

☛ भगवान शिव के इस मंदिर में दीवारों पर बहुत ही सुंदर मूर्तियों को अंकित किया गया है जिनकी कलाकृति पूरी दुनिया में फैली हुई है|

☛ भगवान शिव का यह एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है जिसे देखने के लिए भगवान शिव की भक्तों की हमेशा भीड़ लगी रहती है|

☛ भगवान शिव का यह मंदिर कलचुरी वंश के शासनकाल का मंदिर है जिसे कलचुरी के अधीन माना जाता है |

☛ इस मंदिर के अंदर जाने पर गर्भ ग्रह ,अर्ध मंडप, मंडप और महामंडल प्रमुख रूप से देखने को मिलते हैं |

☛ एक मंदिर में मूर्ति कला को आप उसी प्रकार से देख सकते हैं जिस प्रकार से आप मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के अंतर्गत आने वाले खजुराहो के मंदिरों में देखते हैं |

☛ इस मंदिर का निर्माण 10 वीं सदी में कलचुरी वंश के शासक युवराज देव जी ने करवाया था |

☛ विराट मंदिर को विराटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है | यह नाम भगवान शिव के लिए ही दिया गया है |

☛ एक मंदिर के गर्भ गृह में आपको भगवान शिव के अनन्य भक्त नंदी की मूर्ति देखने को मिलेगी जो कि यहां की बहुत ही सुंदर मूर्ति है|

☛ गर्भ ग्रह के अंदर आपको भगवान शिव का एक छोटा सा शिवलिंग भी नजर आएगा जिसकी पूजा कई वर्षों से होती आ रही है |

☛ यह मंदिर ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है जिस कारण से बहुत सुंदर लगता है और भगवान शिव को उनकी श्रद्धालुओं द्वारा जल चढ़ाने के बाद जल निकास की बहुत ही सुंदर व्यवस्था की गई है |

☛ दोस्तों यह मंदिर शहडोल जिले का बहुत ही महत्वपूर्ण मंदिर है जिसकी देखरेख पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन की जाती है|

☛ प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर यहां पर भगवान शिव की भक्तों की भीड़ कुछ इस कदर होती है कि यहां पर लोगों के अलावा कोई और दिखाई ही नहीं देता |

दोस्तों भगवान शिव को जिस तरीके से भोलेनाथ कहा जाता है ठीक उसी तरीके से इस मंदिर के बारे में भी कहा जाता है कि यहां पर आने वाले भगवान शिव के भक्तों की अवश्य सनी जाती है |

✭ बूढ़ी माता मंदिर शहडोल-

शहडोल जिले का यह एक धार्मिक मंदिर है जहां पर माता के भक्तों का आना जाना हमेशा लगा रहता है | दोस्तों शहडोल जिले का जो है यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है जो मां दुर्गा के लिए समर्पित है | दोस्तों यह मंदिर शहडोल जिले से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहां पर आने जाने का रास्ता एकदम नेशनल हाईवे की तरह है |

बूढ़ी माता मंदिर से जुड़े हुए कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-

☛ माता आदिशक्ति की बहुत ही प्राचीन और सुंदर प्रतिमा इस मंदिर में देखने को मिलती है |

☛ माता के भक्तों की हर मनोकामना को माता आदिशक्ति के द्वारा पूरा किया जाता है |

☛ संतान प्राप्ति के लिए यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है यहां पर जो भी भक्त संतान प्राप्ति की अर्जी लगाता है माता उसकी यह अर्जी जरूर स्वीकार करती हैं |

☛ इस मंदिर के अंतर्गत आप को हिंदू धर्म से जुड़े हुए अन्य देवता जैसे श्री हनुमान जी महाराज और प्रथम पूजनीय श्री गणेश, न्याय के देवता भगवान शनि, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम और उनकी अर्धांगिनी माता सीता के अलावा यहां पर माता के प्रिय भक्त भैरव बाबा को भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है |

☛ दोस्तों यहां पर हनुमान जी की बड़ी प्रतिमा को भी देखा जा सकता है |

☛ नवरात्रि के समय पर यहां पर भव्य कन्या भोज का आयोजन किया जाता है जिसमें नगर के साथ-साथ प्रदेश के अन्य लोग भी इस आयोजन में हिस्सा लेते हैं |

☛ दोस्तों यह एक ऐसा धार्मिक स्थल है जहां पर आप चाहे कितनी भी टेंशन में क्यों ना हो यहां पर आने के बाद आपको एक पॉजिटिव एनर्जी मिलती है और आत्मविश्वास जग जाता है |

✭ टैगोर गार्डन-

दोस्तों शहडोल जिले का टैगोर गार्डन एक ऐसा पर्यटक स्थल है जहां पर आपको जाने के बाद एक बहुत ही आनंद की अनुभूति होती है क्योंकि इस गार्डन में बहुत ही सुंदर -सुंदर पेड़ पौधे और फूलों वाले पेड़ लगे हुए हैं | दोस्तों इस गार्डन को कुछ इस तरीके से बनाया गया है कि यहां पर एक झरने के जैसा द्वारा बनाया गया है जो कि देखने में बहुत ही सुंदर प्रतीत होता है |

दोस्तों यहां पर आप अपने पूरे परिवार के साथ अथवा बच्चों के साथ इस गार्डन में घूमने के लिए आ सकते हैं बच्चों के लिए इस गार्डन में झूले लगे हुए हैं जिनमें बच्चे झूल सकते हैं |

इस गार्डन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसी भी प्रकार की फीस नहीं लगती आप किसी भी समय इस गार्डन को घूम सकते हैं और अपना समय बिता सकते हैं | यस गार्डन के खुलने का समय सुबह 6:00 बजे से लेकर रात 10:00 बजे तक है |

दोस्तों इस गार्डन को टैगोर गार्डन इसलिए बोला जाता है क्योंकि यहां पर रविंद्र नाथ टैगोर की मूर्ति देखने को मिलती है |

✭ विराट धाम शहडोल-

दोस्तों भगवान शिव के लिए समर्पित यही एक छोटा सा मंदिर है जोकि टैगोर गार्डन से थोड़ी ही आगे है | यह मंदिर बहुत प्राचीन है यहां पर बहुत सुंदर लगता है | इस मंदिर में भगवान शिव की बहुत सुंदर शिवलिंग मौजूद है जिसके दर्शन करने लिए भगवान शिव के भक्तों की भीड़ लगी रहती है | इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की मूर्ति को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है जो कि प्रेम का दुनिया में बहुत बड़ा प्रतीक है |

✭ सरफा बांध शहडोल-

दोस्तों जैसा कि आपको पता है जब कभी किसी भी नदी पर किसी बांध का निर्माण किया जाता है तो बांध के निर्माण के पीछे सबसे बड़ा कारण या तो सिंचाई व्यवस्था होती है या बिजली व्यवस्था | दोस्तों उसी तरीके से शहडोल जिले में बनाया गया यह बांध किस जिले की कृषि संबंधित जल आवश्यकताओं को तो पूरा करता ही है साथ ही यहां पर प्रत्येक जलापूर्ति को भी बनाए रखता है | यह बांध देखने में बहुत सुंदर लगता है यहां पर नए साल के उपलक्ष में ज्यादातर लोग पिकनिक मनाने के लिए आते हैं |

दोस्तों यह बांध शहडोल जिले में बहने वाली एक छोटी सी नदी जिसे ‘नाला नदी ‘के नाम से जाना जाता है उसी नदी पर इस बांध को बनाया गया है हालांकि यह बांध ज्यादा विशाल बांध नहीं है परंतु शहडोल जिले के हिसाब से बहुत बड़ा और सुंदर बांध है |

यह बांध बरसात के समय में बहुत सुंदर लगता है क्योंकि बरसात के समय में यह बांध पूरी तरीके से भर जाता है और बांध भर जाने के कारण इसके गेट खोलिए जाते हैं | बांध के गेट खोले जाने के कारण काफी ऊंचाई से गिरता हुआ पानी एक झरने के जैसा दिखाई देता है| दोस्तों इस बांध को देखने के लिए आप जिस रास्ते से जाएंगे उसी रास्ते पर आपको भगवान शिव का एक विशेष मंदिर देखने को मिलेगा जो कि बहुत सुंदर और प्राचीन मंदिर है |

✭ बाणसागर बांध-

दोस्तों मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के अंतर्गत आने वाला बाणसागर बांध जिसे बाणसागर परियोजना के नाम से भी जाना जाता है | दोस्तों यह परियोजना बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है इस परियोजना के माध्यम से कई उद्देश्यों को पूरा किया जाएगा | जलापूर्ति से लेकर बिजली आपूर्ति तक की संपूर्ण कोशिश की जाएगी जहां तक होगा किस परियोजना से जल का उपयोग किया जाएगा |

यह बांध सोन नदी पर बना हुआ है जो कि गंगा नदी की सहायक नदी है | रीवा से शहडोल जाते समय यह बांध रास्ते में ही मिलता है जो कि रीवा से लगभग 51 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | दोस्तों यह बांध शहडोल जिले की देव लोद नामक गांव के पास है |

1978 के समय प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार ने यह तो बांध की नींव रखी थी | इसके बाद 2006 के समय अटल बिहारी बाजपेई जी के द्वारा इस बांध का उद्घाटन किया गया | यह बांध उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों को लाभान्वित करेगा |मध्यप्रदेश में यह बांध रीवा ,शहडोल और कटनी का कुछ भाग समेटे हुए है|

✭ सिंह वाहिनी माता मंदिर शहडोल-

शहडोल जिले के अंतर्गत आने वाली जैतपुर तहसील के पास ही एक छोटा सा गांव स्थित है जिसे चांदपुर के नाम से जाना जाता है| मां दुर्गा का यह मंदिर इसी चांदपुर गांव में स्थित है जो कि यहां का एक धार्मिक मंदिर |

दोस्तों माता के इस मंदिर को सिंह वाहिनी माता मंदिर इसीलिए बोला जाता है क्योंकि माता शक्ति को आप यहां पर सिंह पर सवार हुए दर्शन करेंगे | मां दुर्गा की बेहतर प्रतिमा शेर पर सवार हुए और हाथ में त्रिशूल लिए इस मंदिर में मौजूद है | माता की शेर पर सवार होने के बाद जिस तरीके से इस मंदिर में प्रतिमा को स्थापित किया गया है ठीक उसी प्रकार से इस मंदिर का नामकरण भी किया गया है| मंदिर में माता शेर पर सवार हुए हैं ठीक उसी तरह से एक मंदिर का नाम सिंघवाहिनी माता मंदिर रखा गया है |

इस मंदिर को देखने के लिए मां दुर्गा के भक्तों की सबसे ज्यादा भीड़ नवरात्रि के समय लगती है | नवरात्रि के समय जहां पर लोग अपनी अपनी मनोकामना लेकर मां दुर्गा के चरणों में अर्जी लगाते हैं और मां दुर्गा अपने भक्तों के प्रत्येक कष्ट को दूर करती हैं |

इस मंदिर के गर्भ गृह में मां दुर्गा की प्रतिमा विराजमान हैं जिसे देखने के लिए हर कोई लालायित रहता है | माता के कई भक्त है आपको यहां पर नवरात्रि के समय कुछ ऐसे मिलेंगे जैसे 9 दिनों तक कई भक्त माता के उपवास में पानी तक ग्रहण नहीं करते |

इस मंदिर के बारे में कई तथ्य सामने निकल कर आते हैं कई लोग कहते हैं कि यह मंदिर बहुत ही प्राचीन समय से ही मौजूद है | कई तथ्यों में यह निकल कर आता है कि इस मंदिर को खुदाई के दौरान प्राप्त किया गया है | दोस्तों मंदिर के बारे में तो कई बातें हमें गुमराह कर सकती हैं परंतु मां दुर्गा की कृपा हमें कभी गुमराह नहीं कर सकती | मां दुर्गा अपने चरणों में आने वाले प्रत्येक भक्तों को स्थान देती है और उनके दुखों को हर लेती हैं|

✭ शहडोल का केलमानिया घाट-

दोस्तों यह घाट शहडोल जाते समय ही आपको मिलता है जो कि शहडोल जिला का बहुत ही सुंदर पर्यटक स्थल है | यह घाट बहुत ही खूबसूरत है यहां पर आपको सुंदर पर्वत और पहाड़ देखने को मिलते हैं जिनमें झरनों और जलाशयों के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता बड़ी बारीकी से देखने को मिलती है | यह एक ऐसा घाट है जहां पर आपको एक से अधिक ऐसे स्थल मिल जाएंगे जिनको देखने के बाद आपको एक अलग ही आनंद की अनुभूति होगी |

बरसात के समय यहां पर बहुत ही सुंदर लगता है क्योंकि झरनों से गिरता हुआ पानी हमारे कानों में कल कल जैसी आवाज करता है| यह आवाज एक ऐसी आवाज है जो प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक है ठीक उसी तरीके से जिस तरीके से हम भोर के समय उठते हैं तो हमें पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती है |

दोस्तों कहा जाता है कि “सुख सुबह जैसा होता है मांगने पर नहीं जागने पर मिलता है” ठीक उसी प्रकार से यदि हमें प्रकृति का आनंद लेना है और प्रकृति की सुंदरता को जानना है तो हमें ऐसे स्थलों पर जरूर जाना होगा |

✭ झरिया नाला-

दोस्तों जिस तरीके से इस पर्यटक स्थल का नाम दिया गया है इसका ठीक है विपरीत मिलता है | दोस्तों पर्यटक स्थल का नाम तो हम सुनते हैं झरिया नाला परंतु यह एक बहुत ही सुंदर और आकर्षक पर्यटक स्थल है जहां पर हमें बहुत ही सुंदर हरियाली और पर्वत देखने को मिलते हैं | दोस्तों यहां पर आपको बहुत ही सुंदर जलाशय है मिलेगा और साथ ही आपको चारों तरफ हरे भरे पेड़ पौधों के साथ सुंदर हरियाली देखने को मिलती है |

✭ लखवारिया गुफा-

दोस्तों आपने आदिमानव के बारे में तो सुना ही होगा यह गुफा भी कुछ उसी से संबंधित है यहां पर पुरातत्व सर्वेक्षण के आधार पर पता चला है कि आज से कई वर्षों पहले यहां पर आदि मानवों का निवास हुआ करता था | जैसा कि हमने कहीं ना कहीं सुना होगा कि आदिमानव पत्थरों से बनाई हुई गुफाओं में रहते थे ठीक उसी प्रकार से हम इस गुफा को भी देखते हैं | शहडोल जिले के अंतर्गत आने वाली यह गुफा घने जंगलों में एक काले पत्थरों के रूप में गुफा है| दोस्तों आपको बता दें इस गुफा के बारे में अभी तक कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला है कि यह गुफा आदि मानवों के द्वारा बनाई गई गुफा थी या फिर पांडवों ने इस गुफा को बनवाया था | दोस्तों कहा जाता है कि महाभारत के समय पांडवों का अज्ञातवास हुआ था और उस अज्ञातवास में मध्य प्रदेश के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर उन्होंने अपनी यात्राएं की हैं जिनमें विंध्यांचल पर्वत और सतपुड़ा पर्वत प्रमुख है |

शहडोल जिले के अंतर्गत आने वाला एक छोटा सा गांव जिसे कोई लाहा कहा जाता है इसी गांव के अंतर्गत यह गुफा आती है | यह गुफा काफी प्राचीन होने के कारण और ऐतिहासिक महत्व रखने के कारण इसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं | इस गुफा के अंतर्गत किसी भी प्रकार की ऐसे साक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया गया है जिनके माध्यम से पता लगाया जा सके कि आखिर यह गुफा किस चीज से संबंधित है |

✭ मां काली मंदिर-

दोस्तों माता शक्ति की खंडपीठ में से मां काली भी एक खंडपीठ है जिसे आप शहडोल जिले में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं | मां काली का यह मंदिर शहडोल जिले का एक प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है | शहडोल जिले का प्रमुख धार्मिक मंदिर होने के कारण यहां पर हिंदू धर्म से जुड़े हुए सभी लोग माता के दर्शन करने के लिए आते हैं | मां काली के अलावा यहां पर आप माता शक्ति के अन्य रूपों को भी देख सकते हैं |

मां काली का यह मंदिर शहडोल जिले के सिंहपुर नामक स्थान पर स्थित है | मां काली के अलावा यहां पर आपको मां शारदा, और चामुंडा माता को भी देखा जा सकता है |

इस मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण 10 वीं शताब्दी में करवाया गया है शहडोल जिले से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | दोस्तों 10 वीं शताब्दी के समय कलचुरी वंश का शासन हुआ करता था जिस कारण से इस मंदिर को कलचुरी मंदिर भी कहा जाता है |

इस मंदिर की दीवारों पर आपको बहुत ही सुंदर और आकर्षक नक्काशी देखने को मिलती है जिसकी तारीफ जितनी करी जाए उतनी कम है | ऐसी नक्काशी आपको उसी समय के समकालीन मंदिर के अलावा किसी और मंदिर में देखने को नहीं मिलेगी | यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है इसे देखने के लिए प्रदेश के बाहर के लोग भी आते हैं | किस मंदिर में सबसे ज्यादा भीड़ नवरात्रि के समय होती है क्योंकि नवरात्रि के समय माता के भक्तों द्वारा माता का उपवास किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है | दोस्तों इस मंदिर के बारे में अक्सर कहा जाता है कि माता का कोई भी भक्त है आज तक इस मंदिर से खाली हाथ नहीं लौटा | माता के भक्तों के द्वारा लगाई गई हर जी माता के द्वारा जरूर पूरी की गई है|

✭ शहडोल का पुरातत्व संग्रहालय-

दोस्तों शहडोल जिले के अंतर्गत पुरातत्व संग्रहालय भी स्थापित है जहां पर प्राचीन काल की बहुत ही सुंदर -सुंदर प्रतिमाओं को सुरक्षित रखा गया है | शहडोल के पुरातत्व संग्रहालय में आपको मूर्तियों का विशेष संग्रह देखने को मिलता है जिनमें कई प्रकार की मूर्तियां शामिल हैं | शहडोल जिले का पुरातत्व संग्रहालय शहडोल जिले मुख्यालय की ठीक बिल्कुल पास में ही है|

शहडोल जिले के प्रमुख पर्यटक स्थल FAQ’s

☑️ शहडोल संभाग के अंतर्गत कौन -कौन से जिले आते हैं?

मध्यप्रदेश के शहडोल संभाग के अंतर्गत शहडोल, उमरिया और अनूपपुर जिला आते हैं |

☑️ मध्यप्रदेश में अमरकंटक ताप विद्युत केंद्र कहां पर है?

मध्यप्रदेश में अमरकंटक ताप विद्युत केंद्र शहडोल जिला के अंतर्गत आता है|

☑️ शहडोल जिला के अंतर्गत कुल कितनी तहसील आती हैं?

शहडोल जिला में 6 तहसीलें आते हैं और किस जिले के अंतर्गत मात्र 3 विधानसभा क्षेत्र आते हैं|

☑️ मध्यप्रदेश में गोटमार मेला कहां पर लगता है?

मध्यप्रदेश में गोटमार मेला शहडोल जिले में लगता है इस मेले में हजारों लोग यहां पर इसे देखने के लिए आते हैं|

☑️ मध्यप्रदेश में यूरेनियम किस जिले में होता है?

मध्यप्रदेश का शहडोल एकमात्र ऐसा जिला है जहां पर यूरेनियम प्राप्त किया जाता है |

☑️ एशिया का सर्वाधिक गुणवत्ता वाला कोयला भारत में कहां पर प्राप्त होता है?

एशिया का सर्वाधिक गुणवत्ता वाला कोयला भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अंतर्गत शहडोल जिले में प्राप्त होता है | कोयला की खदान शहडोल जिले की सोहागपुर नामक स्थान पर स्थित है|

☑️ मध्यप्रदेश में ओरिएंटल पेपर मिल कहां पर है?

मध्यप्रदेश में ओरिएंटल पेपर मिल शहडोल जिले में स्थापित है और यह ओरिएंटल पेपर मिल कारखाना शहडोल जिले में अमलाई नामक स्थान पर स्थित है वर्तमान में यह कारखाना अनूपपुर जिले में आता है |

☑️ मध्य प्रदेश की पहली किन्नर विधायक किस जिले से बनी थी?

मध्य प्रदेश राज्य की शहडोल जिले से पहली किन्नर विधायक बनी है जिनका नाम शबनम मौसी है |

☑️ शहडोल जिले का नाम कैसे पड़ा?

शहडोल जिले का नाम सहस्त्र डोल नामक शब्द से पड़ा जिसका अर्थ होता है हजार तालाब |

☑️ मध्य प्रदेश का शहडोल जिला किस पर्वत पर बसा हुआ है?

मध्य प्रदेश का शहडोल जिला मध्य प्रदेश के विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत तथा कैमूर पर्वतों के बीचो बीच बसा हुआ है |

☑️ विराटेश्वर का मंदिर कहां पर है?

विराटेश्वर का मंदिर मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में स्थित है जिसका निर्माण युवराज देव ने करवाया था युवराज देव कलचुरी वंश के राजा थे |

☑️ मध्यप्रदेश में बाणसागर परियोजना कहां पर है?

मध्यप्रदेश में प्रसिद्ध बाणसागर परियोजना का मुख्यालय शहडोल जिले के देवलोद में स्थित है |

☑️ बूढ़ी देवी माता का मंदिर मध्य प्रदेश में कहां है?

बूढ़ी देवी माता का मंदिर मध्यप्रदेश में शहडोल जिले में स्थित है यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध और चर्चित है |

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